महाकुंभ: मराठी, गुजराती, सिंधी समाज ने खोले घरों के दरवाजे, अन्न क्षेत्रों में श्रद्धालु ग्रहण कर रहे प्रसाद

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काशी में महाकुंभ के प्रभाव से श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ने के साथ ही शहर में विभिन्न सामाजिक और धार्मिक संगठनों द्वारा उनकी सेवा में कोई कसर नहीं छोड़ी जा रही है। महाकुंभ के बाद काशी आने वाले श्रद्धालुओं का स्वागत किया जा रहा है और उन्हें ठहरने के लिए मठों, आश्रमों, धर्मशालाओं और समाज भवनों में ठहराया जा रहा है। विशेष रूप से दक्षिण भारतीय, मराठी, गुजराती, सिंधी और मारवाड़ी समाज के लोग श्रद्धालुओं को अपने घरों में भी ठहराने की व्यवस्था कर रहे हैं।

 

काशी के अन्नक्षेत्रों में, जैसे अन्नपूर्णा मंदिर, श्रीकाशी विश्वनाथ, और अन्य अन्न क्षेत्रों में हर दिन 20,000 से 30,000 श्रद्धालु भोजन ग्रहण कर रहे हैं, जबकि आम दिनों में यह संख्या 10,000 के आसपास होती है। इन अन्नक्षेत्रों में श्रद्धालुओं को निशुल्क नाश्ता, चाय, दोपहर और रात का भोजन प्रदान किया जा रहा है।

 

साथ ही, सामाजिक संगठनों के कार्यकर्ता, जैसे विश्व हिंदू परिषद (विहिप) और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के स्वयंसेवक भी श्रद्धालुओं की मदद में जुटे हुए हैं, जिनमें दर्शन कराने से लेकर भोजन की व्यवस्था में मदद की जा रही है।

 

काशी की फैशन डिजाइनर आकांक्षा सिंह ने महाकुंभ की छटा को हैंडबैग पर उकेरकर शंकराचार्यों को भेंट देने के लिए एक खास सीरीज बनाई है। आकांक्षा पहले भी विभिन्न धार्मिक आयोजनों में अपनी कला का प्रदर्शन कर चुकी हैं, जैसे अयोध्या में श्रीरामलला की प्राण प्रतिष्ठा और पेरिस ओलंपिक में।

 

इसके अलावा, सारनाथ स्थित केंद्रीय उच्च तिब्बती शिक्षा संस्थान में आचार्य लोबजंग तेनजिंग ने शिक्षा को आचरण में उतारने का महत्व बताया, जिससे समाज का विकास और विश्व में शांति लाई जा सकती है।

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