महाकुंभ: “मैं क्रियाएं कराता हूं, चमत्कार नहीं”; मठाधिपति करौली शंकर की खास बातचीत

महाकुंभ नगर में मिश्री मठ के मठाधिपति करौली शंकर से अमर उजाला ने खास बातचीत की, जिसमें उन्होंने अपनी गतिविधियों और उद्देश्य के बारे में बताया। करौली शंकर ने स्पष्ट किया कि उनका उद्देश्य चमत्कारी विद्या दिखाना नहीं है। वे लोगों के जीवन में सुधार के लिए क्रियाएं और अनुष्ठान कराते हैं, जिससे लोग रोगमुक्त, शोकमुक्त, नशामुक्त, भयमुक्त और ऋणमुक्त बन सकें। हरिद्वार स्थित मिश्री मठ के मठाधिपति करौली शंकर के लाखों भक्त देश-विदेश में हैं। महाकुंभ में उनके शिविर में रोज 15 घंटे का अनुष्ठान चलता है, जिसमें दूर-दूर से लोग भाग लेने आते हैं।जब उनसे उनके दावों के बारे में पूछा गया, तो उन्होंने कहा, “हमारे पास कोई चमत्कारी विद्या नहीं है। हम सूक्ष्म और स्थूल की बात करते हैं। स्थूल हम देख सकते हैं, जबकि सूक्ष्म को हम महसूस कर सकते हैं। हम सूक्ष्म तत्वों के माध्यम से लोगों की मदद करते हैं, और इसके लिए ब्राह्मणों द्वारा संकल्प और अनुष्ठान कराया जाता है।”
उन्होंने ओम और शिव के महत्व पर भी बात की। उनके अनुसार, ये शब्द जीवन में संतुलन बनाए रखने के लिए जरूरी हैं। उदाहरण के तौर पर, यदि किसी व्यक्ति के हाथ की उंगलियों का संतुलन बिगड़ जाए, तो उसे दर्द और परेशानी का सामना करना पड़ता है। इसी तरह, जीवन में भी सूक्ष्म तत्वों का संतुलन सही रखना जरूरी है, और इसके लिए विशेष शब्दों का उपयोग किया जाता है।डीएनए के बारे में करौली शंकर ने कहा, “हम डीएनए को किसी व्यक्ति के कुल के रूप में देखते हैं, जिसमें पुण्य और पाप का स्थानांतरण होता है। हम संकल्प और अनुष्ठान के माध्यम से इन परेशानियों को सीमित करते हैं।”स्मृतियों के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, “स्मृतियां बदल सकती हैं। अगर व्यक्ति अच्छे विचारों की ओर अग्रसर होता है, तो उसकी स्मृतियां भी बदल सकती हैं। मेडिकल साइंस हर चीज को नहीं समझ पाता है, और एलोपैथी में दवाएं बार-बार बदलती रहती हैं।”