महाकुंभ 2025: आज अमृत स्नान, काशी में कल से बढ़ेगी भीड़

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काशी, जिसे देवों की नगरी और प्राचीन धार्मिक स्थल के रूप में जाना जाता है, में दर्शन, पूजन और स्नान का विशेष महत्व है। महाकुंभ के समय, जब श्रद्धालु पवित्र नदियों में स्नान करने के लिए आते हैं, तो काशी में भी बड़ी संख्या में लोग दर्शन और पूजा के लिए आते हैं। इस वर्ष पौष पूर्णिमा और मकर संक्रांति एक दिन के अंतराल पर पड़ रही हैं, जिसके कारण श्रद्धालुओं का काशी में पलट प्रवाह बुधवार से शुरू हो जाएगा। 15 जनवरी से काशी में श्रद्धालुओं की भीड़ बढ़ने की संभावना है, और प्रशासन इस दौरान श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए पूरी तरह से तैयार है।

श्रद्धालु गंगा स्नान के बाद काशी के प्रमुख मंदिरों में दर्शन करने के लिए आएंगे। बाबा विश्वनाथ धाम और कालभैरव मंदिर जैसे प्रसिद्ध स्थलों पर भारी भीड़ उमड़ने की उम्मीद है। महाकुंभ के स्नान के बाद 10 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं के काशी आने का अनुमान है। इस दौरान काशी के मठों और मंदिरों में दर्शन के लिए पुख्ता व्यवस्था की गई है। खासकर विश्वनाथ मंदिर में दर्शन और पूजन के लिए विशेष इंतजाम किए गए हैं। कालभैरव मंदिर के प्रधान पुजारी मोहित महाराज के मुताबिक, प्रशासन ने वीआईपी दर्शन के लिए अलग से व्यवस्था की है, और शीतला मंदिर के उप महंत कल्लू महाराज ने बताया कि गंगा स्नान के बाद दर्शन करने के लिए कतारबद्ध व्यवस्था की जाएगी। इसके अलावा, काशी के विशालाक्षी, मंगला गौरी और गौरी केदारेश्वर जैसे प्रमुख मंदिरों में भी दर्शन के लिए सुदृढ़ इंतजाम किए गए हैं। महाकुंभ के दौरान, रोजाना 15 लाख से ज्यादा श्रद्धालु काशी लौटकर दर्शन करेंगे।

महाकुंभ के दौरान तीन प्रमुख अमृत स्नान होंगे—14 जनवरी को मकर संक्रांति, 29 जनवरी को मौनी अमावस्या, और 3 फरवरी को बसंत पंचमी। इन विशेष तिथियों पर काशी में श्रद्धालुओं की भीड़ दोगुनी हो सकती है। इसके अतिरिक्त, महाशिवरात्रि, एकादशी और प्रदोष जैसे अन्य धार्मिक अवसरों पर भी काशी में भारी संख्या में श्रद्धालु आएंगे। इन दिनों काशी के मंदिरों में पूजा और अर्चना का माहौल और भी भव्य होगा, और श्रद्धालु गंगा स्नान के बाद शिवालयों और अन्य मंदिरों में पूजा करेंगे।

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