अब काशी में गंगा आरती के लिए हर साल परमिशन जरूरी

काशी में गंगा आरती के आयोजन को लेकर नगर निगम ने नए नियम बनाए हैं। अब हर साल नई संस्थाओं को गंगा आरती कराने के लिए अनुमति लेनी होगी। यह कदम इसलिए उठाया गया है क्योंकि आरती के बाद घाटों की सफाई ठीक से नहीं होती, जिससे घाटों पर गंदगी और अव्यवस्था फैलती है।नगर निगम ने गंगा घाटों के लिए एक सख्त नियमावली बनाई है। इसके अनुसार, वे संस्थाएं जो 12 साल से आरती करा रही हैं, उन्हें ही वैध माना जाएगा। इसके अलावा, हर संस्था को आरती की सूचना नगर निगम और जिला प्रशासन को देनी होगी। नए नियमों के तहत, हर साल अनुमति ली जाएगी और इसके लिए हर साल नए सिरे से औपचारिकताएं पूरी करनी होंगी।
काशी में गंगा किनारे कुल 88 घाट हैं, जिनमें से 84 प्रमुख घाट हैं। इन घाटों पर रोजाना लाखों श्रद्धालु गंगा आरती में शामिल होते हैं, जिनमें दशाश्वमेध, अस्सी, शीतलाघाट, पंचगंगा, ललिताघाट, केदारघाट और तुलसीघाट जैसे प्रमुख घाट हैं। हालांकि, इन घाटों पर सफाई की जिम्मेदारी आरती समितियां नहीं उठातीं, जिसके कारण घाटों पर गंदगी और अव्यवस्था रहती है।नए नियमों के तहत, हर संस्था को घाटों पर कूड़ेदान रखना अनिवार्य होगा। इसके साथ ही, निगम और जिला प्रशासन के दिशा-निर्देशों का पालन भी सख्ती से करना होगा। अगर कोई संस्था घाटों पर गंदगी फैलाती है या घाटों को नुकसान पहुंचाती है, तो उस पर जुर्माना भी लगाया जाएगा। जुर्माना राशि 200 से लेकर 5000 रुपये तक हो सकती है।
इसके अलावा, अतिक्रमण के खिलाफ भी कार्रवाई की जाएगी। धार्मिक आयोजनों को छोड़कर किसी भी अन्य आयोजन के लिए संस्था को नगर निगम से अनुमति लेनी होगी और शुल्क भी जमा करना होगा।इसके साथ ही, गंगा घाटों पर अतिक्रमण, विज्ञापन और अस्थायी संरचनाओं पर भी सख्त नियंत्रण रखा जाएगा। घाटों की भूमि राज्य सरकार की संपत्ति मानी जाती है, और इस पर किसी भी प्रकार के अतिक्रमण या विज्ञापन के लिए नगर निगम से अनुमति लेना अनिवार्य होगा।इन नए नियमों से घाटों की सफाई और व्यवस्था में सुधार होगा और काशी के गंगा घाटों की सुंदरता बनी रहेगी।