उत्तराखंड में आपदा का खतरा, सायरन से होगी चेतावनी, ‘यू प्रिपेयर’ योजना के तहत सुरक्षा इंतजाम

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उत्तराखंड में अतिवृष्टि और अन्य प्राकृतिक आपदाओं के प्रबंधन के लिए राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (यूएसडीएमए) एक नई योजना पर काम कर रहा है, जिसमें मौसम की पूर्व सूचना देने वाली संस्थाओं की मदद ली जाएगी। इस योजना के तहत, प्रदेश में आपदाओं की चेतावनी देने के लिए मल्टी हेजर्ड अर्ली वार्निंग डिसिजन सिस्टम का उपयोग किया जाएगा। इस प्रणाली का उद्देश्य आपातकालीन स्थिति की पूर्व सूचना देने और उसे प्रभावी ढंग से लोगों तक पहुंचाने में मदद करना है।

 

इसके अंतर्गत, मौसम की पूर्व चेतावनी देने के लिए मौसम संबंधित संस्थाओं की सेवाएं ली जाएंगी, जिनके द्वारा दी गई जानकारी की सटीकता की जांच के बाद भुगतान किया जाएगा। इसके अलावा, जंगलों में आग की सूचना के लिए भारतीय वन सर्वेक्षण (एफएसआई) की सेवा का भी उपयोग किया जाएगा। इसी तरह, भूंकप और अन्य प्राकृतिक आपदाओं की जानकारी भी विभिन्न संस्थाओं से प्राप्त की जाएगी। ये सूचनाएं पहले मल्टी हेजर्ड अर्ली वार्निंग डिसिजन सिस्टम में एकत्र की जाएंगी और फिर राज्य आपातकालीन सूचना केंद्र को भेजी जाएंगी, जहां से चेतावनी जारी की जाएगी।

 

इस योजना के तहत, राज्यों के विभिन्न क्षेत्रों में सायरन लगाने का कार्य भी किया जाएगा, ताकि स्थानीय स्तर पर चेतावनी दी जा सके। अधिकारियों का मानना है कि इससे आपदाओं के प्रति जन जागरूकता और त्वरित प्रतिक्रिया की क्षमता में सुधार होगा।

 

इस साल राज्य में प्राकृतिक आपदाओं ने भारी तबाही मचाई। जून के बाद से 82 लोगों की मौत हो चुकी है, 37 लोग घायल हुए हैं और 28 लोग लापता हैं। इसके अलावा, 3326 घरों को आंशिक नुकसान हुआ, 473 घरों को भारी नुकसान पहुंचा और 135 मकान पूरी तरह से नष्ट हो गए। इन आंकड़ों से स्पष्ट है कि राज्य में आपदाओं का खतरा लगातार बना हुआ है, और इस तरह के उपायों से आने वाले समय में पूर्व चेतावनी प्रणाली को मजबूत किया जाएगा।

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