शौचालय में नवजात को जन्म देकर फरार: नर्सों ने दिखाई ममता, गले लगाया

बिहार के शिवहर और मुंगेर जिलों से मानवता को शर्मसार करने वाली घटनाएं सामने आई हैं, जहां नवजात बच्चियों को जन्म देने के बाद उनकी मांएं उन्हें छोड़कर फरार हो गईं। ये घटनाएं समाज में बेटियों के प्रति संवेदनहीनता और पारिवारिक दबावों की गंभीर तस्वीर पेश करती हैं।
शिवहर जिले में सरोजा सीताराम सदर अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड के शौचालय में सुबह 7 बजे एक नवजात बच्ची को रोते हुए पाया गया। बताया गया कि तीन-चार महिलाएं प्रसव पीड़ा से कराहती एक युवती को अस्पताल लेकर आईं थीं। युवती शौचालय में गई और बच्ची को जन्म देने के बाद वहां से फरार हो गई। बच्ची के रोने की आवाज सुनकर अस्पताल प्रबंधन और मरीजों के परिजन वहां पहुंचे और खून से लथपथ नवजात बच्ची को देखा। तुरंत ही उसे एसएनसीयू (स्पेशल न्यूबॉर्न केयर यूनिट) में भर्ती कराया गया। अस्पताल प्रशासन ने जिला बाल संरक्षण इकाई को मामले की जानकारी दी और आगे की कार्रवाई के लिए अनुरोध किया।
दूसरी घटना मुंगेर जिले की है, जहां सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के पास एक सूखे नाले में 8-10 दिन की नवजात बच्ची को रोता-बिलखता पाया गया। एक अज्ञात महिला ने बच्ची को नाले में छोड़ दिया और फरार हो गई। बच्ची को देखकर वहां की नर्सों ने उसे नाले से निकाला और अपने सीने से लगाकर उसकी देखभाल की। मेडिकल चेकअप में बच्ची पूरी तरह स्वस्थ पाई गई। इसके बाद अस्पताल प्रशासन ने सिविल सर्जन और जिला बाल संरक्षण इकाई को सूचना देकर बच्ची को उनकी निगरानी में सौंप दिया।
इन घटनाओं से समाज में बेटियों के प्रति भेदभाव और असमानता उजागर होती है। ऐसी घटनाओं के पीछे अक्सर सामाजिक और पारिवारिक दबाव, गरीबी, और जागरूकता की कमी जैसे कारण होते हैं। यह चिंताजनक है कि आज भी बेटियों को परिवार और समाज का बोझ समझा जाता है।
इन घटनाओं से निपटने के लिए प्रशासन और समाज को एकजुट होकर काम करना होगा। प्रशासन को दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करनी चाहिए और समाज को बेटियों के महत्व और उनके अधिकारों के प्रति जागरूक बनाना होगा। इसके साथ ही, ऐसी माताओं के लिए मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं और पुनर्वास योजनाओं को लागू किया जाना चाहिए, ताकि उन्हें और उनके बच्चों को बेहतर भविष्य मिल सके।
ये घटनाएं हमारे समाज के लिए आत्मनिरीक्षण का समय हैं। हमें बेटियों के प्रति संवेदनशीलता और सम्मान का माहौल बनाना होगा, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएं न हों।