टिहरी: पैराग्लाइडिंग हादसे में पायलट घायल, हेली एंबुलेंस से एम्स भेजा गया

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पैराग्लाइडिंग एक्रो और एसआईवी प्रतियोगिता के अभ्यास के दौरान एक पायलट घायल हो गया और उसे तत्काल हेली एंबुलेंस के जरिए एम्स भेजा गया। यह घटना अपराह्न करीब 1:45 बजे हुई, जब करनाल निवासी पायलट हार्दिक ने प्रतापनगर से पैराग्लाइडिंग की उड़ान भरी। 10-15 फीट की ऊंचाई से वह गिर गए, जिससे उनके मुंह और कमर में चोटें आईं। एसडीआरएफ के अपर उपनिरीक्षक महावीर सिंह ने अपनी टीम के साथ रेस्क्यू किया। घायल पायलट को अस्पताल भेजने के लिए हेली एंबुलेंस को बुलाया गया, और करीब 3:45 बजे उसे एम्स ऋषिकेश भेजा गया, जहां उसकी स्थिति स्थिर बताई गई।पर्यटन विकास परिषद द्वारा आयोजित पैराग्लाइडिंग एक्रो और एसआईवी प्रतियोगिता टिहरी बांध की झील के कोटीकालोनी में शुरू हुई। प्रतियोगिता में भाग लेने वाले पायलट प्रतापनगर से टेकऑफ कर कोटीकालोनी में लैंडिंग का अभ्यास कर रहे थे। इस दौरान दूर-दराज से आए पर्यटकों ने कुट्ठा प्वाइंट से पैराग्लाइडिंग का अनुभव लिया।

प्रतियोगिता में देश-विदेश से पायलटों ने हिस्सा लिया। उद्घाटन समारोह में मुख्य अतिथि विधायक किशोर उपाध्याय और विशिष्ट अतिथि टीएचडीसी के अधिशासी निदेशक एलपी जोशी ने भाग लिया। विधायक उपाध्याय ने कहा कि टिहरी बांध की झील को स्थानीय लोगों के लाभ के लिए और पानी के खेलों के हब के रूप में विकसित किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र में पैराग्लाइडिंग जैसी सुविधाएं टर्की की तरह विकसित की जानी चाहिए। साथ ही, उन्होंने स्थानीय युवाओं की प्रतियोगिताओं में भागीदारी बढ़ाने की बात की और 22 दिसंबर को होने वाली पैराग्लाइडिंग चैंपियनशिप के समापन पर छात्रों को शामिल करने का सुझाव दिया।एलपी जोशी ने कहा कि टिहरी झील क्षेत्र में खेलों को बढ़ावा देने से स्थानीय रोजगार में वृद्धि होगी। इस मौके पर सीडीओ डॉ. अभिषेक त्रिपाठी, आईटीबीपी के डिप्टी कमांडिंग अधिकारी आशुतोष बिष्ट, भाजपा जिला महामंत्री उदय रावत और पैराग्लाइडिंग विशेषज्ञ तानाजी ताकवे भी उपस्थित थे।

प्रतियोगिता में कुल 100 पायलट शामिल हैं, जिनमें 75 भारतीय और 25 विदेशी पायलट हैं। प्रतियोगिता में उत्तराखंड, हिमाचल, महाराष्ट्र, और नॉर्थ ईस्ट के पायलटों के साथ-साथ फ्रांस, ईरान, रूस, स्पेन और स्विट्जरलैंड से भी पायलट शामिल हुए हैंविधायक किशोर उपाध्याय ने भी पहली बार पैराग्लाइडिंग की। उन्होंने कुट्ठा से उड़ान भरी और कोटीकालोनी में लैंडिंग की। इस अनुभव को उन्होंने बेहद रोमांचक बताया और इसे भगवान हनुमान के संजीवनी लेने के समान बताया। साथ ही, उन्होंने कुट्ठा टेकऑफ स्थल तक पहुंचने वाली सड़क की स्थिति पर नाराजगी जताई और उसे सुधारने की आवश्यकता बताई।

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