Pithoragarh News: सारा परियोजना से 511 जल स्रोतों को मिलेगा नया जीवन

पिथौरागढ़ जिले में सूख चुके जल स्रोतों को फिर से जीवित करने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। स्प्रिंग एंड रिवर रिज्युविनेशन अथॉरिटी (सारा) परियोजना के तहत जिले में 511 जल स्रोतों और सहायक नदियों को पुनर्जीवित किया जाएगा। इन जल स्रोतों का वास्तविक प्रवाह लौटाने का प्रयास किया जाएगा, जिससे पानी की कमी से जूझ रहे इलाकों को राहत मिल सके। इस परियोजना का पहला चरण शुरू हो चुका है, जिसमें सूख चुके और सूखने के कगार पर पहुंचे जल स्रोतों की पहचान की गई है।जलागम विभाग ने ग्राम पंचायत, विकासखंड और जिला स्तर पर उन जल स्रोतों की पहचान की है, जिनका अस्तित्व खत्म हो चुका है या जिनमें जल प्रवाह 70 प्रतिशत से अधिक घट चुका है। विभाग के अनुसार, पिथौरागढ़ जिले में 498 नौले-धारे और 22 सहायक नदियां ऐसी हैं, जिनमें जल की मात्रा काफी कम हो गई है। इन जल स्रोतों को फिर से जीवन देने के लिए विभिन्न विभागों की साझेदारी की जाएगी। इसमें सिंचाई, लघु सिंचाई और वन विभाग जैसे विभाग शामिल होंगे।
इन जल स्रोतों के आसपास जल संचयन के उपाय किए जाएंगे, जैसे कि चाल-खाल, सिंचाई पिट, कच्चे तालाब और चैक डाम का निर्माण। इसके साथ ही पौधरोपण भी किया जाएगा ताकि जल स्रोतों के पुनर्जीवन को सुनिश्चित किया जा सके।जलागम विभाग का दावा है कि अगले तीन वर्षों में सूख चुके जल स्रोत फिर से बहने लगेंगे और सूखने के कगार पर पहुंचे जल स्रोतों में जलधारा का प्रवाह बढ़ेगा। जल स्रोतों के सूखने की मुख्य वजह बारिश में कमी, भूमि का बंजर होना और अनियोजित विकास को बताया गया है। जलागम के तकनीकी विशेषज्ञ सुनील सती के अनुसार, पहले जमीन पर अधिक जुताई की जाती थी और बारिश के दौरान भूमि अधिक पानी सोखने में सक्षम थी, लेकिन अब अवैज्ञानिक निर्माण कार्यों ने जलधाराओं को प्रभावित किया है।2018 में यक्षवती नदी को पुनर्जीवित करने के लिए करोड़ों रुपये खर्च किए गए थे, लेकिन नदी अभी भी अपने असल रूप में नहीं लौट पाई है। अब, जल स्रोतों के पुनर्जीवित करने के लिए एक नई मुहिम शुरू की गई है, जिससे इन जल स्रोतों और नदियों को फिर से जीवन मिल सके।