शहाबुद्दीन के खिलाफ संघर्ष करने वाले डीपी ओझा का अंतिम संस्कार, बिहार में गहरा शोक

बिहार के पूर्व पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) ध्रुव प्रसाद ओझा उर्फ डीपी ओझा (82) का निधन हो गया है। वह पिछले कुछ दिनों से बीमार थे और आज उनका अंतिम संस्कार पटना के गुलबी घाट पर किया जाएगा। डीपी ओझा 1967 बैच के आईपीएस अधिकारी थे, और 1 फरवरी 2003 को बिहार के डीजीपी के पद पर नियुक्त हुए थे। वह अपनी सख्त कार्यशैली के लिए प्रसिद्ध थे और उन्हें “नो-नॉनसेंस” पुलिस अधिकारी के रूप में जाना जाता था।
डीपी ओझा 2003 में सुर्खियों में आए जब उन्होंने शहाबुद्दीन, बिहार के एक बाहुबली सांसद, के खिलाफ सख्त कार्रवाई शुरू की। उन्होंने राज्य सरकार को एक रिपोर्ट सौंपी थी जिसमें शहाबुद्दीन के पाकिस्तान स्थित संगठनों से संबंधों का उल्लेख किया गया था। इस रिपोर्ट के बाद, उन्हें फरवरी 2004 में उनकी सेवानिवृत्ति से कुछ महीनों पहले पद से हटा दिया गया। बाद में, सरकार से तकरार होने पर उन्होंने वीआरएस (स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति) ले लिया।
डीपी ओझा का शिक्षा जीवन भी उल्लेखनीय था। उन्होंने बीएससी ऑनर्स की पढ़ाई राजेंद्र कॉलेज, छपरा से की और एमएससी लंगट सिंह कॉलेज, मुजफ्फरपुर से। इसके बाद, वह पटना सायंस कॉलेज और टीएनबी कॉलेज, भागलपुर में लेक्चरर रहे। पुलिस सेवा में आने के बाद, उन्होंने जहां भी काम किया, अपराध नियंत्रण और कानून-व्यवस्था को सख्ती से लागू किया।
उनके निधन पर बिहार के वर्तमान डीजीपी आलोक राज और अन्य पुलिस अधिकारियों ने शोक व्यक्त किया है। उनके योगदान और ईमानदारी को बिहार पुलिस हमेशा याद रखेगी।