हिमाचल: बागवानी नीति से 82,500 को रोजगार मिलेगा, जगत नेगी

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हिमाचल प्रदेश सरकार ने बागवानी नीति को लागू करने की योजना बनाई है, जिसके तहत 82,500 लोगों को सीधे और अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार मिलेगा। यह घोषणा बागवानी मंत्री जगत सिंह नेगी ने नौणी विश्वविद्यालय के 13वें दीक्षांत समारोह के दौरान की। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए विश्वविद्यालय को 4 करोड़ रुपये की वित्तीय सहायता प्रदान की है और मक्की के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य 30 रुपये प्रति किलो तय किया है।इसके अलावा, राज्य सरकार एचपी-शिवा परियोजना के तहत 2028 तक 6,000 हेक्टेयर भूमि को बागवानी क्षेत्र में लाने का लक्ष्य बना रही है। इस परियोजना से 15,000 से ज्यादा बागवान परिवारों को फायदा होगा। हिमाचल प्रदेश ने कृषि और बागवानी के क्षेत्र में नई तकनीकों का इस्तेमाल करके किसानों और बागवानों की आय में वृद्धि की है। बागवानों की मांग पर सरकार ने सेब की पैकिंग के लिए यूनिवर्सल कार्टन का इस्तेमाल शुरू किया है, जिससे सेब की बिक्री में आसानी और अच्छे दाम मिल रहे हैं। अब मंडियों में सेब की खरीद बिक्री प्रति किलोग्राम के हिसाब से होती है, जो बागवानों के लिए फायदेमंद है।

 

राज्य सरकार ने सेब उत्पादकों के लिए मार्केट इंटरवेंशन स्कीम (MIS) के तहत 153 करोड़ रुपये जारी किए हैं, ताकि उनकी देनदारियों का निपटान किया जा सके। इसके साथ ही, सेब का समर्थन मूल्य भी 1.50 रुपये प्रति किलो बढ़ाकर 12 रुपये प्रति किलो कर दिया गया है, जिससे बागवानों को और अधिक राहत मिली है।राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल ने भी राज्य में सेब उत्पादन के महत्व को रेखांकित किया। उन्होंने बताया कि हिमाचल में 49 प्रतिशत कृषि क्षेत्र में सेब उगाया जाता है, जो कुल फल उत्पादन का 84 प्रतिशत है। राज्य की सेब अर्थव्यवस्था 5,000 करोड़ रुपये से अधिक है। हालांकि, बदलते मौसम और रासायनिक कीटनाशकों के बढ़ते इस्तेमाल से उत्पादन और गुणवत्ता पर असर पड़ा है। राज्यपाल ने विश्वविद्यालय द्वारा प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के प्रयासों की सराहना की और कहा कि केंद्र सरकार ने रसायन मुक्त खेती के लिए 2,481 करोड़ रुपये के राष्ट्रीय मिशन को मंजूरी दी है, जिसका हिमाचल को भी फायदा उठाना चाहिए।

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