विजयपुर-बुधनी: भाजपा और कांग्रेस के लिए इज्जत का सवाल, चुनावी समर में प्रतिष्ठा दांव पर

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मध्य प्रदेश में हो रहे उपचुनाव भाजपा और कांग्रेस के लिए महज दो सीटों पर मुकाबला नहीं, बल्कि प्रतिष्ठा की लड़ाई बन गए हैं। बुधनी और विजयपुर विधानसभा सीटों पर हुए इस चुनाव के नतीजे शनिवार को आने वाले हैं। हालांकि, इनका सरकार की स्थिरता पर कोई असर नहीं पड़ेगा, लेकिन दोनों दलों के लिए यह चुनाव गढ़ बचाने और राजनीतिक संदेश देने का महत्वपूर्ण अवसर है।

 

बुधनी भाजपा का पारंपरिक गढ़ है, जहां पार्टी अब तक 17 में से 11 बार जीत दर्ज कर चुकी है। यह सीट पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का प्रभाव क्षेत्र रही है, जिन्होंने 2006 के बाद से यहां लगातार भाजपा की जीत सुनिश्चित की है। इस बार उपचुनाव शिवराज सिंह चौहान के सांसद बनने के बाद हो रहा है। भाजपा ने यहां रमाकांत भार्गव को प्रत्याशी बनाया है, जबकि कांग्रेस ने राजकुमार पटेल को टिकट दिया है। बुधनी में किरार समाज का निर्णायक वोट बैंक है, जो परंपरागत रूप से शिवराज सिंह चौहान के साथ रहा है। इसके अलावा, ब्राह्मण और ओबीसी मतदाताओं का रुख भी इस चुनाव में अहम भूमिका निभाएगा।

 

भाजपा ने यहां प्रचार के लिए शिवराज सिंह चौहान, मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव और प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा समेत कई दिग्गज नेताओं को उतारा। दूसरी ओर, कांग्रेस ने जीतू पटवारी और दिग्विजय सिंह जैसे नेताओं के जरिए मुकाबले को कड़ा बनाने की कोशिश की। हालांकि, भाजपा के भीतर प्रत्याशी चयन को लेकर असंतोष देखा गया, जो उसे नुकसान पहुंचा सकता है।

 

विजयपुर, कांग्रेस का परंपरागत गढ़ रहा है, जहां पार्टी ने 1990 से अब तक 8 में से 6 बार जीत दर्ज की है। लेकिन इस बार स्थिति बदली हुई है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और छह बार के विधायक रामनिवास रावत अब भाजपा में शामिल हो गए हैं और उन्हें कैबिनेट मंत्री बनाया गया है। भाजपा ने रावत को विजयपुर से अपना प्रत्याशी बनाया है, जबकि कांग्रेस ने आदिवासी वर्ग से मुकेश मल्होत्रा को मैदान में उतारा है। विजयपुर में लगभग 60,000 आदिवासी मतदाता और 30,000 कुशवाह समाज के मतदाता हैं। इनका झुकाव पारंपरिक रूप से कांग्रेस की ओर रहा है, लेकिन भाजपा रावत के जरिए समीकरण बदलने की कोशिश कर रही है।

 

इस उपचुनाव में दोनों दलों ने पूरी ताकत झोंक दी है। भाजपा और कांग्रेस के नेताओं ने विजयपुर और बुधनी दोनों सीटों पर जमकर प्रचार किया। विजयपुर में भाजपा की जीत कांग्रेस के गढ़ को तोड़ने का प्रतीक होगी, जबकि कांग्रेस इसे बचाने की पूरी कोशिश में है। वहीं, बुधनी में कांग्रेस अपनी पुरानी हारों को पीछे छोड़ते हुए शिवराज सिंह चौहान के किले को चुनौती देने की कोशिश कर रही है।

 

इन चुनावों के परिणाम दोनों दलों के लिए राजनीतिक दिशा तय करेंगे। कांग्रेस यदि विजयपुर बचाने में सफल होती है, तो उसके कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़ेगा और जीतू पटवारी जैसे नेताओं की स्वीकार्यता मजबूत होगी। वहीं, भाजपा के लिए रामनिवास रावत के दल बदल को सही ठहराने और बुधनी पर पकड़ बनाए रखने की चुनौती है। इन नतीजों का राज्य की राजनीति पर दूरगामी प्रभाव हो सकता है।

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