शानन परियोजना का मूल्यांकन, कायाकल्प की प्रक्रिया शुरू

हिमाचल और पंजाब सरकार के बीच शानन विद्युत परियोजना के मालिकाना हक को लेकर चल रही कानूनी लड़ाई के बीच इस 100 साल पुरानी परियोजना के कायाकल्प की प्रक्रिया शुरू हो गई है। पंजाब विद्युत पावर कॉरपोरेशन (पीएसपीसीएल) ने इस परियोजना का रेजीड्यूल लाइफ असेसमेंट (अवशिष्ट जीवन मूल्यांकन) करवाने का निर्णय लिया है, जिसके तहत परियोजना की मशीनरी और सिविल ढांचे की मौजूदा स्थिति का आकलन किया जाएगा।भारत सरकार के एक संस्थान, मेकॉन लिमिटेड की एक टीम, जिसमें जेके सिंह, अभिजीत और कमलेश कुमार शामिल हैं, इस मूल्यांकन के लिए जोगिंद्रनगर पहुंची है। टीम ने परियोजना का दौरा किया और अधिकारियों से जानकारी ली। आने वाले दिनों में और भी विशेषज्ञों की टीम शानन परियोजना का निरीक्षण करेगी, जिसमें सिविल, इलेक्ट्रिकल और मैकेनिकल विशेषज्ञ शामिल होंगे। वे पैन स्टॉक, मशीनरी, सिविल ढांचे, टनल और अन्य भवनों का गहन निरीक्षण करेंगे। इसके बाद, परियोजना की खस्ताहाल मशीनरी और ढांचे के बारे में एक रिपोर्ट तैयार की जाएगी, जिसे पीएसपीसीएल को सौंपा जाएगा।
इस परियोजना की पंजाब राज्य विद्युत बोर्ड के साथ 99 साल की लीज मार्च 2024 में समाप्त हो रही है। इसके बाद हिमाचल सरकार ने इसे अपने अधीन लेने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है। हालांकि, पंजाब सरकार भी इसे अपने नियंत्रण में रखने के लिए गंभीर है, जिससे यह कानूनी विवाद और भी जटिल हो गया है। शानन परियोजना 1924 में शुरू हुई थी और 1932 में इसका विद्युत उत्पादन शुरू हुआ। वर्तमान में इसकी क्षमता 110 मेगावाट है और यह परियोजना पंजाब सरकार के अधीन है।इस कायाकल्प के बाद, शानन परियोजना की स्थिति में सुधार हो सकता है, लेकिन इसका भविष्य दोनों राज्य सरकारों के बीच चल रहे कानूनी संघर्ष पर निर्भर करेगा।