दिल्ली एम्स ने किया पहली बार डेमो, जहरीली हवा से सांस की नली पर पड़ रहा गंभीर असर
दिल्ली एम्स ने हाल ही में एक लाइव डेमो के माध्यम से प्रदूषण के खतरों को उजागर किया है, जिसमें हवा में मौजूद खतरनाक रसायनों और सूक्ष्म प्रदूषकों के घातक प्रभावों को स्पष्ट रूप से दिखाया गया। इस डेमो में पीएम 10, पीएम 2.5 के अलावा पीएम 1 और पीएम 1.5 आकार वाले प्रदूषकों के स्वास्थ्य पर असर को भी दिखाया गया। इन प्रदूषकों के बारे में डॉक्टरों का कहना है कि जब एक्यूआई का स्तर बेहद गंभीर हो, तो इन सूक्ष्म कणों का शरीर में घुसकर श्वास नली को नुकसान पहुंचाने और फेफड़ों की कार्य क्षमता को कमजोर करने का खतरा बढ़ जाता है।
एम्स के पल्मोनरी विभाग के वरिष्ठ डॉक्टर करन मदान के अनुसार, पीएम 2.5 के कण श्वास नली के आसपास चिपकते हैं और नली के आकार को घटाते हैं, जिससे सांस लेने में परेशानी होती है। इससे समय के साथ काला दमा (COPD) जैसी बीमारियाँ भी विकसित हो सकती हैं। प्रदूषण से न केवल फेफड़े प्रभावित होते हैं, बल्कि यह दिल, रक्तचाप, कोलेस्ट्रॉल, और किडनी जैसी गंभीर बीमारियों का भी कारण बन सकता है। प्रदूषण की वजह से हार्ट अटैक और स्ट्रोक का खतरा भी बढ़ जाता है, खासकर उन लोगों में जो पहले से दिल की बीमारी से ग्रस्त होते हैं।
एम्स के अनुसार, प्रदूषण के बढ़ते स्तर के कारण अस्पताल की ओपीडी में अस्थमा और अन्य सांस की समस्याओं से पीड़ित मरीजों की संख्या बढ़ रही है। कई मरीजों को स्टेरॉयड और इंजेक्शंस तक की आवश्यकता पड़ रही है। इसके अलावा, लंबे समय तक प्रदूषण का सामना करने से गर्भवती महिलाओं में प्रीमैच्योर प्रसूति का जोखिम भी बढ़ जाता है।
आंकड़ों के अनुसार, 2021 में वायु प्रदूषण के कारण 21 लाख भारतीयों की जान चली गई। पीएम 2.5 कण रक्त प्रवाह में घुसकर शरीर के विभिन्न अंगों तक पहुंचते हैं और हृदय रोग, स्ट्रोक, अस्थमा और तंत्रिका संबंधी समस्याओं का कारण बनते हैं। दिल्ली एम्स ने एक अध्ययन में यह पाया है कि हवा में कई घातक रसायन जैसे निकल, क्रोमियम, रेमेडियम, लेड और नाइट्रोजन मौजूद हैं, जो कैंसर के जोखिम को बढ़ाते हैं।
इसके साथ ही, दिल्ली एम्स ने यह भी बताया कि एक व्यक्ति सामान्यत: 24 घंटे में 10,000 लीटर हवा अपनी सांसों के माध्यम से फेफड़ों में खींचता है। जब हवा में प्रदूषण अधिक होता है, तो फेफड़ों की कार्यक्षमता में गिरावट आती है, जो समय के साथ स्थायी नुकसान का कारण बन सकती है। योग और व्यायाम से 40% तक फेफड़ों की कार्यक्षमता की रिकवरी संभव है, लेकिन यह पूरी तरह से प्रभावित हो चुकी कार्यक्षमता को पुनः प्राप्त करना मुश्किल होता है।
इस प्रकार, दिल्ली की प्रदूषित हवा ने न केवल शारीरिक स्वास्थ्य पर बल्कि मानसिक स्वास्थ्य पर भी गंभीर प्रभाव डालने की संभावना को बढ़ा दिया है।