मुस्लिम मतदाताओं पर टिकी राजनीति, बिखरे तो BJP को मिलेगा फायदा

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उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद जिले की कुंदरकी विधानसभा सीट उपचुनाव में “बदलाव” और “भरोसे” की लड़ाई का केंद्र बन गई है। यह सीट सपा का गढ़ मानी जाती है, लेकिन बीजेपी इस बार बदलाव की उम्मीद के साथ मैदान में है। 31 सालों से इस सीट पर जीत के लिए तरस रही बीजेपी अपने परंपरागत वोटबैंक के साथ-साथ अन्य दलों के वोटों में सेंध लगाने की रणनीति पर काम कर रही है। दूसरी ओर, सपा मुस्लिम मतों और पीडीए (पटेल, दलित, अल्पसंख्यक) गठजोड़ को साधने की कोशिश में है।

कुंदरकी क्षेत्र के मतदाताओं के लिए बिजली, पानी, सड़क, स्वास्थ्य और विकास प्राथमिक मुद्दे हैं। मोहल्ला नूरुल्ला के निवासी क्षेत्र में जलनिकासी की विकराल समस्या, सरकारी अस्पतालों में डॉक्टरों की कमी, और कुंदरकी बस स्टैंड पर रोडवेज बसों के न रुकने जैसे मुद्दों पर चर्चा कर रहे हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में भी विकास की कमी का मुद्दा प्रमुख है। रतनपुर कलां गांव के 13 हजार वोटर और 50 हजार की आबादी के बावजूद विकास नहीं हो सका। ग्रामीणों का कहना है कि अब तक इसे नगर पंचायत का दर्जा मिल जाना चाहिए था, लेकिन हर विधायक ने गांव की उपेक्षा की।

1993 में बीजेपी ने चंद्र विजय सिंह के नेतृत्व में इस सीट पर जीत दर्ज की थी, लेकिन उसके बाद से पार्टी को लगातार हार का सामना करना पड़ा। 2002 से 2022 तक हुए पांच चुनावों में सपा ने चार बार इस सीट पर जीत दर्ज की। 2007 में बसपा के अकबर हुसैन ने सपा के विजयक्रम को तोड़ा, लेकिन इसके बाद सपा ने इस सीट पर अपना वर्चस्व कायम रखा।

कुंदरकी मुस्लिम बहुल सीट है, जहां 64% से अधिक मुस्लिम मतदाता हैं। बीजेपी ने रामवीर सिंह को उम्मीदवार बनाया है, जबकि सपा ने हाजी रिजवान को मैदान में उतारा है। मुस्लिम वोटों के बंटवारे से बीजेपी को फायदा होने की उम्मीद है। वहीं, सपा अपने मुस्लिम और अन्य पिछड़े वर्ग के मतदाताओं को साधने में जुटी है।

जनता के बीच चर्चा में बीजेपी और सपा के बीच कड़ा मुकाबला नजर आ रहा है। चाय की दुकानों और चौपालों पर हो रही बहस में एक वर्ग सत्ता पक्ष के प्रत्याशी को विकास की उम्मीद मानता है, जबकि दूसरा वर्ग सपा के लंबे वर्चस्व को विश्वास का आधार मानता है।

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