गाजियाबाद: वकीलों का आंदोलन तेज, कचहरी के बाहर महापंचायत में उठीं नई मांगें

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गाजियाबाद में वकीलों पर हुए लाठीचार्ज के विरोध में अधिवक्ताओं का आंदोलन तेज होता जा रहा है। 29 अक्टूबर को हुए इस विवाद के बाद अब गाजियाबाद में महापंचायत का आयोजन किया गया, जिसमें उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों के साथ-साथ पंजाब, हरियाणा, और दिल्ली से भी अधिवक्ता शामिल हुए। महापंचायत में अधिवक्ताओं ने आंदोलन की आगे की रणनीति पर चर्चा की और अपनी मांगों को लेकर एकजुटता दिखाई।

 

वकीलों की बड़ी मांगें

गाजियाबाद बार एसोसिएशन के अध्यक्ष दीपक शर्मा ने कहा कि 29 अक्टूबर से शांतिपूर्ण प्रदर्शन किया जा रहा है, लेकिन प्रशासन ने अधिवक्ताओं की मांगों पर कोई ध्यान नहीं दिया। उन्होंने जिला जज के तबादले की मांग उठाई और कहा कि लाठीचार्ज में शामिल पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई होनी चाहिए। इसके साथ ही वकीलों पर दर्ज एफआईआर को रद्द करने की मांग भी प्रमुख है। जब तक ये मांगे पूरी नहीं होतीं, प्रदर्शन जारी रहेगा।

 

महापंचायत में उठाए गए मुद्दे

महापंचायत के दौरान वकीलों ने विभिन्न रणनीतियों पर चर्चा की। मुजफ्फरनगर से आए महासचिव ने सुझाव दिया कि आंदोलन को एक सप्ताह के लिए स्थगित कर वार्ता का रास्ता अपनाया जाए। हालांकि, अधिकांश वकीलों ने इस सुझाव का विरोध किया। बैठक में हाईकोर्ट तक अपनी बात पहुंचाने और प्रदर्शन को और प्रभावी बनाने की योजना पर भी बात की गई।

 

अधिवक्ताओं की एकजुटता

महापंचायत में अब तक की सबसे ज्यादा संख्या में वकील शामिल हुए। यह दर्शाता है कि अधिवक्ता समुदाय इस मुद्दे को लेकर कितना गंभीर है। उनकी मुख्य मांगें न्यायपालिका और पुलिस प्रशासन में जवाबदेही सुनिश्चित करने की हैं। शांतिपूर्ण तरीके से शुरू हुआ यह प्रदर्शन अब सड़क तक पहुंच चुका है, और वकीलों ने साफ कर दिया है कि वे अपनी मांगों के पूरा होने तक पीछे नहीं हटेंगे।

 

गाजियाबाद का यह आंदोलन न केवल स्थानीय स्तर पर बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर भी चर्चा का विषय बन चुका है। वकीलों की एकजुटता और उनके आंदोलन की दिशा अब प्रशासन और न्यायपालिका के लिए एक बड़ी चुनौती बन गई है।

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