लखनऊ में प्रदूषण का संकट, फैक्ट्रियां समय पर चलने के बावजूद अफसर और उद्यमी समाधान तक नहीं पहुंच पाए

तालकटोरा औद्योगिक क्षेत्र में प्रदूषण पर नियंत्रण पाने के लिए जिला अधिकारी (डीएम) सूर्यपाल गंगवार ने औद्योगिक इकाइयों को रोटेशन के आधार पर चलाने के निर्देश दिए हैं। हालांकि, इस निर्णय के बाद उद्यमियों और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारियों के बीच गतिरोध बना हुआ है। उद्यमियों ने इन निर्देशों को अव्यावहारिक बताते हुए विरोध जताया है, जबकि प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारी अगले सप्ताह उद्यमियों के साथ बैठक आयोजित कर रोटेशन के लिए समय तय करने की योजना बना रहे हैं।
डीएम के निर्देशों के अनुसार, तालकटोरा क्षेत्र की औद्योगिक इकाइयों को अगले 15 दिनों तक अलग-अलग समय पर चलाया जाएगा, ताकि प्रदूषण को नियंत्रित किया जा सके। शनिवार को तालकटोरा के उद्यमियों ने पुराने समयानुसार, यानी सुबह 9 बजे से शाम 6 बजे तक अपनी फैक्टरियां चलाईं, क्योंकि उन्हें ऐसा कोई आधिकारिक आदेश नहीं मिला था, जिसमें यह बताया गया हो कि कौन सी फैक्ट्री किस समय चलेगी। इसलिए उन्होंने अपने निर्धारित समय पर काम जारी रखा।
उद्यमियों का कहना है कि यह रोटेशन प्रणाली अव्यावहारिक है। उनके मुताबिक, दिन में श्रमिकों की उपलब्धता कम होती है, और रात में कैसे काम किया जाएगा, यह भी एक बड़ा सवाल है। राष्ट्रीय उपाध्यक्ष, अखिल भारतीय उद्योग संघ, दिनेश गोस्वामी का कहना है कि अगर इस तरह से उद्योग चलाने की कोशिश की गई तो कई फैक्ट्रियां घाटे में चली जाएंगी, और उनकी स्थिति संभाल पाना मुश्किल हो जाएगा। वहीं, तालकटोरा के उपाध्यक्ष, आईआईए यूथ विंग, अदनान सिद्दीकी ने कहा कि इंडस्ट्री के लिए रोटेशन लागू करना और भी मुश्किल होगा, क्योंकि पहले से ही सड़क निर्माण और नाले की स्थिति खराब है, जो ट्रैफिक जाम और प्रदूषण का कारण बन रहे हैं।
इसके बावजूद, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारी उमेश शुक्ला ने कहा कि डीएम के निर्देशों का पालन हर हाल में कराया जाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि अगले सप्ताह उद्यमियों के साथ बैठक आयोजित की जाएगी, जहां रोटेशन के समय तय किए जाएंगे। उनका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि प्रदूषण पर नियंत्रण पाया जाए, साथ ही उद्यमियों को भी कोई आर्थिक नुकसान न हो।