राजस्थान के 17 जिलों को लेकर ताजा खबर

राहुल गांधी सरकार के दौरान बनाए गए 17 नए जिलों और 3 संभागों की समीक्षा के लिए गठित कैबिनेट सब कमेटी इस महीने के अंत तक अपनी रिपोर्ट राज्य सरकार को सौंप सकती है। समिति से जुड़े सूत्रों के अनुसार, नए जिलों पर विचार-विमर्श लगभग पूरा हो चुका है। अब समिति की एक और बैठक होगी, जिसमें रिपोर्ट को अंतिम रूप दिया जाएगा, और इसके बाद यह रिपोर्ट सरकार को प्रस्तुत की जाएगी।

प्रदेश की 7 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव के बाद नई बैठक बुलाने का निर्णय लिया गया है। सूत्रों के मुताबिक, कमेटी इस बात पर विचार कर रही है कि नए बने 17 जिलों में से पांच से अधिक जिलों को समाप्त या मर्ज किया जाए। इस समीक्षा कमेटी का गठन 12 जून को उपमुख्यमंत्री प्रेमचंद बैरवा के नेतृत्व में किया गया था, लेकिन अब उन्हें हटाकर शिक्षा मंत्री मदन दिलावर को नया संयोजक नियुक्त किया गया है। इस कमेटी की अंतिम बैठक 18 सितंबर को हुई थी। नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने हाल ही में राज्य सरकार की मंशा पर सवाल उठाए थे और नए जिलों की समीक्षा को लेकर विधानसभा का विशेष सत्र बुलाने की मांग भी की थी।

छोटे जिलों पर संकट
सूत्रों के अनुसार, कमेटी छोटे जिलों को खत्म करने या उन्हें मर्ज करने की सिफारिश कर सकती है। पहले भी कमेटी ने छोटे जिलों को लेकर चिंता जताई थी, यह कहते हुए कि यदि एक विधानसभा क्षेत्र के आकार को जिला बना दिया जाए, तो फिर हर विधानसभा क्षेत्र के हिसाब से 200 जिले बनाए जाने की आवश्यकता होगी।

कमेटी संयोजक का बदलाव
कमेटी को दूदू को जिला बनाए रखने या समाप्त करने पर भी निर्णय लेना है। दूदू के जिला बनाए जाने को लेकर सवाल उठ रहे हैं, और इस कारण ही बैरवा को हटाकर मदन दिलावर को संयोजक बनाया गया है।

विरोध और प्रदर्शन
सितंबर में, दूदू, सांचोर, गंगापुर सिटी, शाहपुरा और केकड़ी में छोटे जिलों के विरोध में प्रदर्शन और आंदोलन हुए थे। सांचोर में तो पूर्व मंत्री और कांग्रेस नेता सुखराम विश्नोई ने भूख हड़ताल भी की थी।

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