हाईकोर्ट का आदेश: भूमि सीमांकन में सिर्फ डीएम रहेंगे मौजूद, तहसील स्टाफ पर लगी रोक

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रयागराज के जिलाधिकारी को आदेश दिया है कि वे अपनी उपस्थिति में विवादित भूमि का सीमांकन कराकर चक रोड का निर्धारण सुनिश्चित करें। यह निर्देश न्यायमूर्ति मनीष कुमार निगम की अदालत ने रामकृपाल नामक याचिकाकर्ता की याचिका पर दिया। याचिका में रामकृपाल ने आरोप लगाया था कि ग्रामसभा ने उनके भूमिधरी गाटा संख्या-101 पर चक रोड बनाकर अतिक्रमण किया है। ग्रामसभा द्वारा दी गई रिपोर्ट में कहा गया कि पूर्व ग्राम प्रधान ने चक रोड के निर्माण के दौरान गाटा संख्या-101 पर अतिक्रमण किया है, जबकि चक रोड को गाटा संख्या-102 पर होना चाहिए था। दूसरी ओर, तहसील हंडिया के नायब तहसीलदार ने शपथ पत्र के माध्यम से दावा किया कि चक रोड गाटा संख्या-102 पर ही बनाया गया है और गाटा संख्या-101 पर कोई अतिक्रमण नहीं हुआ। इन विरोधाभासी बयानों के चलते अदालत ने जिलाधिकारी को आदेश दिया कि वे स्वयं सीमांकन कार्य की निगरानी करें और छह सप्ताह के भीतर चक रोड का वास्तविक स्थान निर्धारित करें। मामले की अगली सुनवाई छह दिसंबर को होगी।
इसके अतिरिक्त, हाईकोर्ट ने जौनपुर के जिलाधिकारी को अवमानना का नोटिस जारी किया है। यह आदेश न्यायमूर्ति सलिल कुमार राय की अदालत ने प्रकाश चंद्र बिंद व अन्य की ओर से दाखिल किए गए अवमानना आवेदन पर दिया। आवेदकों का कहना था कि वे केवट और मल्लाह समुदाय से आते हैं, जो मझवार जाति की उपजाति है और अनुसूचित जाति के रूप में मानी जाती है। उन्होंने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर एससी प्रमाणपत्र जारी करने की मांग की थी। अदालत ने जिलाधिकारी को निर्देश दिया था कि वह तीन माह के भीतर इस संबंध में निर्णय लें। लेकिन जिलाधिकारी द्वारा आदेश का पालन नहीं किए जाने पर याचिकाकर्ताओं ने अवमानना आवेदन दायर किया।
याचिकाकर्ता के वकील ने भारत के राजपत्र और उत्तर प्रदेश सरकार के शासनादेश का हवाला देकर मझवार जाति के अनुसूचित जाति में शामिल होने का तर्क दिया। कोर्ट ने मामले में डीएम जौनपुर को नोटिस जारी करते हुए जवाब मांगा है और आदेश का पालन न करने पर अवमानना कार्यवाही की चेतावनी दी है।