यूपी में ठंड का इंतजार लंबा! ला नीना का असर, वैज्ञानिक भी चिंतित

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ला नीना के सक्रिय नहीं होने के कारण नवंबर के शुरुआती दिनों में ठंड का अनुभव नहीं हो रहा है। आमतौर पर, नवंबर की शुरुआत में ठंड पड़नी शुरू हो जाती है, लेकिन इस साल तापमान सामान्य से अधिक बना हुआ है। मौसम विशेषज्ञों के अनुसार, नवंबर में ठंडक का अहसास अब दिसंबर से ही शुरू होगा, जिससे इस बार ठंड का अनुभव धीरे-धीरे बढ़ेगा।

तापमान में असामान्य वृद्धि: ठंड में देरी का कारण

रविवार को अधिकतम तापमान 32.4 डिग्री सेल्सियस और न्यूनतम 15 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया, जो सामान्य तापमान से अधिक है। आमतौर पर, इस समय तक अधिकतम तापमान 30 डिग्री और न्यूनतम 13 डिग्री सेल्सियस रहना चाहिए। मौसम विभाग का मानना है कि ला नीना के सक्रिय न होने की वजह से ठंडी हवाओं का प्रवाह रुक गया है, जिससे तापमान सामान्य से अधिक बना हुआ है।

 

ठंड में देरी: ला नीना का क्या है प्रभाव?

ला नीना प्रशांत महासागर और वायुमंडल के बीच परस्पर क्रिया के कारण उत्पन्न होता है, जो मौसम पर गहरा प्रभाव डालता है। ला नीना के सक्रिय होने से प्रशांत महासागर के तापमान में कमी आती है, जिससे ठंड का चक्र शुरू होता है और पश्चिम से ठंडी हवाओं का आगमन तेज हो जाता है। इस बार, इसके सक्रिय होने में अभी एक सप्ताह और लग सकता है, जिससे ठंड का असर देरी से शुरू होगा।

 

जलवायु परिवर्तन का असर: मौसम चक्र में परिवर्तन

मौसम विशेषज्ञों के अनुसार, जलवायु परिवर्तन की वजह से मौसम का अनुमानित चक्र एक माह आगे खिसक गया है। इस बदलाव का असर अब ठंड पर भी दिख रहा है। ठंड की शुरुआत दिसंबर से होगी और फरवरी तक इसका असर रहेगा। इससे संकेत मिलता है कि मौसम चक्र में बदलाव के कारण ठंड, गर्मी और बरसात का समय भी आगे खिसक गया है।

 

शनिवार का रिकॉर्ड: दिन सबसे गर्म, रात सबसे ठंडी

कानपुर में शनिवार का दिन सबसे अधिक गर्म और रात सबसे ठंडी रही। शनिवार को अधिकतम तापमान 35.8 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया, जो सामान्य से 4.6 डिग्री सेल्सियस अधिक था। वहीं, रात का न्यूनतम तापमान 14.6 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया, जो इस सीजन का सबसे ठंडा रात का तापमान रहा।

 

स्वास्थ्य पर प्रभाव: तापमान में उतार-चढ़ाव से बढ़ रही समस्याएं

तापमान में तेजी से उतार-चढ़ाव होने से स्वास्थ्य पर भी नकारात्मक असर पड़ रहा है। मौसम में बदलाव से शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर हो जाती है, जिससे सर्दी, जुकाम, बुखार जैसे संक्रमणों का खतरा बढ़ जाता है। विशेष रूप से अस्थमा और एलर्जी के मरीजों को परेशानी का सामना करना पड़ सकता है, क्योंकि वायरस अधिक सक्रिय हो जाते हैं और संक्रमण की संभावना बढ़ जाती है।

डॉ. एस के गौतम, प्रोफेसर मेडिसिन विभाग, हैलट के अनुसार, तापमान में अचानक परिवर्तन से रक्त वाहिकाओं में उतार-चढ़ाव आ सकता है, जिससे ब्लड प्रेशर में भी अस्थिरता होती है और अन्य स्वास्थ्य समस्याएं भी बढ़ सकती हैं।

 

ला नीना के सक्रिय नहीं होने और जलवायु परिवर्तन के कारण ठंड के आगमन में देरी हो रही है। तापमान सामान्य से अधिक बना हुआ है, और मौसम विशेषज्ञों के अनुसार ठंड का अनुभव अब दिसंबर से बढ़ेगा। तापमान में उतार-चढ़ाव के कारण स्वास्थ्य पर भी असर पड़ रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि आने वाले दिनों में ठंड का प्रभाव धीरे-धीरे बढ़ेगा, और इसे ध्यान में रखते हुए लोगों को विशेष सावधानियां बरतनी चाहिए।

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