प्रदूषण के मामले में दिल्ली फिर से शीर्ष पर, पटाखों का असर साफ

IMG_1432

दिल्ली में पटाखों का धुआं, प्रदूषण में टॉप पर पहुंची राजधानी

दिल्ली में दीवाली पर पटाखे जलाने से वायु गुणवत्ता इतनी बिगड़ी कि देश की राजधानी प्रदूषण में दुनिया के सबसे ऊंचे पायदान पर पहुंच गई। आम आदमी पार्टी (AAP) सरकार ने लोगों से अपील की थी कि इस दीवाली पटाखे ना जलाएं, लेकिन फिर भी जमकर आतिशबाजी हुई, जिसका नतीजा बढ़ते प्रदूषण के रूप में सामने आया।

 

मुख्य बिंदु
– आतिशबाजी और पराली के धुएं ने मिलकर दिल्ली को प्रदूषण के चरम पर पहुंचा दिया।
– दीवाली की रात तेज हवा ने कुछ राहत दी, जिससे अगले दिन का एक्यूआई पिछले साल की तुलना में थोड़ा बेहतर रहा।

 

संजीव गुप्ता, नई दिल्ली: दीवाली की रात जैसे ही पटाखों की गूंज सुनाई दी, दिल्ली की हवा में प्रदूषण की परतें बढ़ने लगीं। प्रतिबंध के बावजूद राजधानी और एनसीआर के शहरों में आधी रात तक आतिशबाजी होती रही। इस वजह से पिछले दो सालों की तुलना में इस बार दीवाली पर एक्यूआई में अधिक बढ़ोतरी दर्ज की गई। हालांकि, तेज हवा ने स्मॉग को थोड़ा कम किया और गंभीर श्रेणी में जाने से रोक लिया।

 

रात 8 बजे के बाद बढ़ा प्रदूषण
गुरुवार को दीवाली के दिन शाम 6 से 7 बजे तक दिल्ली की हवा अपेक्षाकृत बेहतर थी, लेकिन जैसे ही रात 8 बजे के बाद आतिशबाजी शुरू हुई, हर घंटे प्रदूषण स्तर बढ़ता गया। शाम 7 बजे दिल्ली का एक्यूआई 327 यानी ‘बहुत खराब’ श्रेणी में था, जो रात 11 बजे तक 330 पहुंच गया और शुक्रवार सुबह 7 बजे 362 तक दर्ज किया गया। सुबह की ठंडी और धीमी हवा ने स्मॉग को और घना कर दिया।

 

पराली के धुएं की 27% तक हिस्सेदारी
IITM पुणे के डिसीजन सपोर्ट सिस्टम के अनुसार, पड़ोसी राज्यों पंजाब और हरियाणा में पराली जलाने से दिल्ली की हवा में PM 2.5 की मात्रा में 27% तक का इजाफा हुआ। केवल एक ही दिन में 900 से ज्यादा पराली जलाने के मामले सामने आए। इसके अलावा, परिवहन और अन्य स्थानीय कारणों ने भी 13% प्रदूषण में योगदान दिया।

 

हवा की दिशा और गति ने बढ़ाया असर
इस बार दीवाली पर उत्तर-पश्चिमी दिशा से आने वाली हवा के साथ पटाखों का धुआं और पराली का असर मिलकर दिल्ली की हवा को और जहरीला बना गया। गुरुवार से शुक्रवार के बीच हवा की गति 12 से 16 किमी प्रति घंटा रही, लेकिन जैसे ही गति कम हुई, प्रदूषण ने जोर पकड़ लिया।

 

10 अक्टूबर से बिगड़ने लगी हवा
इस साल दीवाली की रात पिछले तीन सालों में सबसे प्रदूषित दर्ज हुई। अक्टूबर में मानसून की विदाई के बाद से ही दिल्ली की हवा में गिरावट आने लगी थी। 10 अक्टूबर के बाद से वायु गुणवत्ता खराब होनी शुरू हो गई और 13 तारीख से ये ‘खराब’ श्रेणी में आ गई।

दिल्ली में मानसून के दौरान हवा अपेक्षाकृत साफ थी, लेकिन अक्टूबर में आते ही हवा में प्रदूषण का जहर घुलने लगा। दीवाली की आतिशबाजी और पराली के धुएं ने मिलकर इस बार की दीवाली को बेहद प्रदूषित बना दिया।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *