यादव कार्ड का खेल, सपा की टिकट वितरण नीति

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यूपी के उपचुनावों में समाजवादी पार्टी (सपा) ने एक स्पष्ट रणनीति अपनाते हुए पीडीए कार्ड को खुलकर खेला है। करहल सीट पर सपा ने केवल तेज प्रताप यादव को टिकट देकर यह साबित कर दिया कि यादवों का वर्चस्व पार्टी में बरकरार है, जबकि सामान्य जातियों से दूरी बनाते हुए सपा ने अपने टिकट वितरण में स्पष्टता दिखाई है। पार्टी ने नौ सीटों में से पांच टिकट दलित और पिछड़ी जातियों के उम्मीदवारों को दिए हैं, जबकि चार टिकट मुस्लिम उम्मीदवारों को आवंटित किए गए हैं। यह सपा की ओर से सामाजिक न्याय और समावेशिता की नीति को दर्शाता है।

महिलाओं को तरजीह देने के लिए भी सपा ने अपनी नीति में बदलाव किया है। पार्टी ने आधी से ज्यादा यानी पांच सीटें महिलाओं को आवंटित की हैं, जिससे स्पष्ट होता है कि सपा महिला मतदाताओं को अपनी ओर आकर्षित करने का प्रयास कर रही है। इस रणनीति के माध्यम से पार्टी ने यह संकेत दिया है कि वे केवल एक खास जाति के बजाय विभिन्न समाजों के प्रतिनिधित्व को महत्व देती हैं।

सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने बुधवार तक छह सीटों पर प्रत्याशियों के नामों की घोषणा की थी, और बृहस्पतिवार को बचे हुए तीन सीटों के लिए डॉ. चारू कैन, श्री सिंह राज जाटव और मोहम्मद रिजवान को टिकट देने की बात सामने आई। हालांकि, मोहम्मद रिजवान के नाम की आधिकारिक पुष्टि अभी बाकी है, लेकिन सपा द्वारा जारी फार्मेट सी-7 में उनका नाम शामिल किया गया है। यह फार्मेट सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार है, जिसमें प्रत्याशियों के आपराधिक इतिहास का ब्योरा दिया जाता है, और इससे पार्टी की पारदर्शिता को भी दर्शाता है।

सपा ने इस चुनावी मौसम में अपने चुनावी पत्ते खोलकर न केवल अपनी रणनीति स्पष्ट की है, बल्कि पार्टी की प्राथमिकताओं को भी उजागर किया है। करहल से तेज प्रताप यादव, सीसामऊ से नसीम सोलंकी, फूलपुर से मुजतबा सिद्दीकी, कटहरी से शोभावती वर्मा, मझंवा से डॉ. ज्योति बिंद और मीरापुर से सुम्बुल राणा के नामों की घोषणा ने इस बात की पुष्टि की है कि सपा अपने प्रमुख वोट बैंक को बनाए रखने में तत्पर है।

समग्र रूप से, सपा का यह चुनावी रणनीति न केवल जातिगत समीकरणों को संतुलित करने की कोशिश है, बल्कि यह यह भी दर्शाता है कि पार्टी सामाजिक न्याय और समावेशिता के प्रति प्रतिबद्ध है। उपचुनावों में इस प्रकार की योजना और टिकट वितरण की नीति से यह स्पष्ट है कि सपा अपने राजनीतिक उद्देश्य को पूरा करने के लिए किस हद तक तैयार है।

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