UP की पीसीएस और आरओ/एआरओ परीक्षाएं बनीं चुनौती, राह आसान नहीं

उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (यूपीपीएससी) को पीसीएस-2024 और आरओ/एआरओ-2023 प्रारंभिक परीक्षा को दो दिन में आयोजित करने की योजना बनाते हुए कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। आयोग ने 7 और 8 दिसंबर को पीसीएस प्रारंभिक परीक्षा और 22 दिसंबर को आरओ/एआरओ परीक्षा की तिथियां घोषित की हैं, लेकिन लगभग 10.70 लाख आवेदनों के साथ केंद्रों की कमी इसे एक जटिल स्थिति में डाल रही है।
प्रतियोगी छात्रों का बड़ा समूह इस योजना के खिलाफ खड़ा हो गया है। सोमवार को आयोग के बाहर छात्रों की भीड़ ने उनके विरोध को स्पष्ट रूप से प्रदर्शित किया। छात्र यह तर्क कर रहे हैं कि दो दिन में परीक्षा कराने की स्थिति में नार्मलाइजेशन प्रक्रिया लागू की जाएगी, जो विवादास्पद साबित हो सकती है। छात्रों का कहना है कि प्रश्नपत्रों की कठिनाई स्तर की पहचान के लिए कोई स्पष्ट पद्धति नहीं है, जिससे नार्मलाइजेशन की प्रक्रिया में और अधिक समस्या उत्पन्न होगी।
इसके अतिरिक्त, आयोग को खंड शिक्षा अधिकारी और स्वास्थ्य शिक्षा अधिकारी की भर्ती परीक्षाएं भी आयोजित करनी हैं, जिनमें आवेदनों की संख्या पांच लाख से अधिक होने की संभावना है। लंबे समय से स्वास्थ्य शिक्षा अधिकारी की भर्ती नहीं हुई है, इसलिए इस बार अधिक आवेदन आ सकते हैं। साथ ही, राजकीय इंटर कॉलेज में प्रवक्ता और सहायक अध्यापक (एलटी ग्रेड) परीक्षाएं भी आयोग के लिए चुनौतीपूर्ण होंगी, क्योंकि इनमें भी भारी संख्या में आवेदन होते हैं।
छात्र संघर्ष समिति के मीडिया प्रभारी, प्रशांत पांडेय, ने कहा है कि केंद्रों की कमी का बहाना बनाकर दो दिवसीय परीक्षा की तैयारी तर्कसंगत नहीं है। उनका मानना है कि आयोग को एक दिन की परीक्षा की रणनीति अपनानी चाहिए, न कि छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ करते हुए अपनी सुविधा के अनुसार निर्णय लेना चाहिए।
इस सबके बीच, उत्तर प्रदेश शिक्षा सेवा चयन आयोग में भी समस्याएं हैं। इस आयोग के गठन के छह महीने बाद भी उप सचिवों की नियुक्ति नहीं की गई है, जिससे कार्य की गति प्रभावित हो रही है। आयोग का गठन 14 मार्च 2024 को हुआ था, लेकिन पदों पर नियुक्ति में देरी ने कार्यों में बाधा उत्पन्न की है। आयोग की यह स्थिति यह दर्शाती है कि परीक्षा आयोजित करने की प्रक्रिया और चयन की प्रक्रिया में व्यवधान आ सकता है, जो अंततः छात्रों के भविष्य को प्रभावित करेगा।