किसानों के लिए खुशखबरी, प्राकृतिक मेंथा आयल होगा सस्ता, सिंथेटिक की कीमतें बढ़ेंगी

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भारत सरकार मेंथा के किसानों और आयल कारोबारियों को जल्द ही बड़ी राहत देने जा रही है। प्राकृतिक मेंथा आयल पर जीएसटी में सात प्रतिशत की कमी की जाएगी, जबकि सिंथेटिक मेंथाल पर छह प्रतिशत की बढ़ोतरी की जाएगी। मंत्री समूह (जीओएम) ने प्राकृतिक मेंथा आयल पर जीएसटी को 12 प्रतिशत से घटाकर 5 प्रतिशत और सिंथेटिक मेंथाल पर इसे 18 प्रतिशत करने का निर्णय लिया है। इस प्रस्ताव पर जीएसटी काउंसिल की मुहर लगने की उम्मीद है।

 

भारत में सबसे ज्यादा मेंथा की खेती उत्तर प्रदेश में होती है। बाराबंकी, अयोध्या, अंबेडकरनगर, लखनऊ, रामपुर, मुरादाबाद, बदायूं, बरेली और पीलीभीत जैसे जिलों में 20 लाख से अधिक किसान इसे नकदी फसल के रूप में उगाते हैं। हर साल लगभग 50 हजार टन मेंथा तेल का उत्पादन होता है, जिसमें लाखों ग्रामीण मजदूर और औद्योगिक श्रमिक भी शामिल हैं। मिंट मैन्यूफैक्चर्स एंड एक्सपोटर्स एसोसिएशन के अनुसार, 500 से अधिक एमएसएमई इकाइयां इस उद्योग से जुड़ी हुई हैं और यह उद्योग जीडीपी में लगभग आठ हजार करोड़ रुपये का योगदान करता है।

 

हाल के वर्षों में आयातित सिंथेटिक मेंथाल का उपयोग तेजी से बढ़ा है। पर्सनल केयर और फार्मास्यूटिकल सेक्टर में सिंथेटिक मेंथाल की मांग में 40 प्रतिशत से अधिक हिस्सेदारी है। इसका मुख्य कारण इसकी कम कीमत है, जबकि प्राकृतिक मेंथा की उत्पादन लागत अधिक होती है। इसके चलते प्राकृतिक मेंथा आयल की कीमतों में कमी आ रही है, जिससे किसान इस फसल से मोहभंग महसूस कर रहे हैं और कई एमएसएमई इकाइयों को भी बंद होना पड़ रहा है।

 

इस निर्णय से उम्मीद की जा रही है कि प्राकृतिक मेंथा आयल की खेती को पुनर्जीवित किया जा सकेगा और किसानों को बेहतर कीमत मिलने से उनका हौसला भी बढ़ेगा।

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