गाजियाबाद में बिल्डरों से जुर्माना वसूली में समस्या, बायर्स के अधिकार कैसे सुरक्षित

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बायर्स के हितों की रक्षा के लिए रियल एस्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी (रेरा) का गठन किया गया था, लेकिन इसके बावजूद वसूली प्रक्रिया में बाधाएँ उत्पन्न हो रही हैं। रेरा ने बिल्डर और अन्य प्राधिकरण के खिलाफ रिकवरी सर्टिफिकेट (RC) जारी किए हैं, लेकिन इनकी वसूली सुस्त पड़ी हुई है। जब भी रेरा द्वारा आरसी जारी किया जाता है, बिल्डर और संबंधित प्राधिकरण अक्सर कोर्ट में अपील कर देते हैं, जिससे मामला फंस जाता है और बायर्स को उनका पैसा नहीं मिल पाता।

गाजियाबाद और गौतमबुद्धनगर में स्थिति अत्यंत चिंताजनक है। यहां की वसूली दर केवल 12 से 15 फीसदी के बीच है। उदाहरण के लिए, गाजियाबाद प्रशासन को 142 करोड़ रुपये की वसूली करनी थी, लेकिन अब तक केवल 20 करोड़ रुपये के आसपास ही वसूली हो पाई है। इस सुस्त वसूली के पीछे जिला प्रशासन के अधिकारियों की चुप्पी भी एक बड़ा कारण है।

यूपी रेरा के अधिकारियों का कहना है कि रिकवरी की प्रक्रिया को तेज करने के लिए हर महीने अपडेट नोटिस भेजे जा रहे हैं। इसके बावजूद, वसूली की गति में सुधार नहीं आ रहा है। बायर्स की परेशानियों का अंत नहीं हो रहा है, जिससे उनकी वित्तीय स्थिति और मानसिक शांति पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है।

इस परिदृश्य में, बायर्स को न केवल न्याय की आवश्यकता है, बल्कि रेरा और जिला प्रशासन से सक्रियता की भी उम्मीद है ताकि उनकी परेशानियों का समाधान हो सके और उनका फंसा हुआ पैसा समय पर वापस मिल सके।

 

सभी मामले पेडिंग चल रहे हैं

जीडीए के 22 में से अधिक मामले अपील में रेरा की तरफ से जीडीए से वसूली किए जाने के लिए आरसी जारी किया गया था। कुल 22 मामलों में वसूली किया जाना था। जिला प्रशासन ने केवल एक मामले में 16 लाख रुपए के आसपास वसूली कर सका है, जबकि बाकी मामले में जीडीए ने कोर्ट में अपील दायर कर दिया है। इस वजह से सभी मामले पेडिंग चल रहे हैं। बायर्स फंसे हुए हैं। जिला प्रशासन के अधिकारियों का कहना है कि जो मामले कोर्ट में विचाराधीन होते है। उसमें जब तक फैसला नहीं आता है तब तक वसूली की प्रक्रिया नहीं हो सकती है।

 

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