जनादेश के साथ विश्वासघात… जम्मू-कश्मीर परिणाम 2024 से पहले केंद्र द्वारा 5 विधायकों को नॉमिनेट करने पर कांग्रेस भड़की
जम्मू-कश्मीर में सरकार गठन से पहले पांच विधायकों के मनोनीत को लेकर सियासत शुरू हो गई है। कांग्रेस ने इसका कड़ा विरोध किया और उसने ऐसे किसी भी निर्णय को लोकतंत्र और संविधान के मूल सिद्धांतों पर हमला करार दिया। जम्मू-कश्मीर में पहली बार नई सरकार के गठन में पांच मनोनीत विधायकों की महत्वपूर्ण भूमिका होगी। केंद्र शासित प्रदेश में एक दशक के अंतराल के बाद चुनाव हुए हैं। गृह मंत्रालय की सलाह के आधार पर उपराज्यपाल (एलजी) इन सदस्यों को नामित करेंगे।
जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019 में पिछले साल 26 जुलाई, 2023 को संशोधन करने के बाद यह प्रक्रिया शुरू की गई। पांच विधायकों को मनोनीत किए जाने के बाद जम्मू-कश्मीर विधानसभा की सदस्य संख्या 95 हो जाएगी, जिससे सरकार बनाने के लिए बहुमत का आंकड़ा 48 हो जाएगा।
मूल सिद्धांतों पर हमला
जम्मू-कश्मीर प्रदेश कांग्रेस कमेटी (जेकेपीसीसी) के वरिष्ठ उपाध्यक्ष और मुख्य प्रवक्ता रवींद्र शर्मा ने कहा, ‘हम जम्मू-कश्मीर में सरकार गठन से पहले उपराज्यपाल के पांच विधायकों को मनोनीत करने का विरोध करते हैं। ऐसा कोई भी कदम लोकतंत्र, जनादेश और संविधान के मूल सिद्धांतों पर हमला करने के समान है।
बीजेपी पर लगाया आरोप
उन्होंने इस मुद्दे पर अपनी असहमति और विरोध जताया तथा इसका डटकर मुकाबला करने की घोषणा की। इस दौरान पार्टी नेता रमन भल्ला भी मौजूद थे।
शर्मा ने कहा, ‘संविधान के मुताबिक, उपराज्यपाल को मंत्रिपरिषद की सलाह पर कार्य करना चाहिए। चुनाव के बाद बहुमत या अल्पमत की स्थिति को बदलने के लिए मनोनयन के प्रावधान का दुरुपयोग करना हानिकारक होगा।’
कांग्रेस बोली- जनादेश के साथ धोखा
केंद्र सरकार विधायकों को चुनने के लिए उपराज्यपाल को सिफारिश करेगी, इसलिए आलोचकों का कहना है कि वे केंद्र की बात मानेंगे। जम्मू-कश्मीर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के वरिष्ठ उपाध्यक्ष रविंदर शर्मा ने शुक्रवार को जम्मू में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, ‘कांग्रेस को आसानी से बहुमत मिल जाएगा, लेकिन यह लोकतंत्र विरोधी है और लोकतंत्र और 90 विधायकों को चुनने के लिए वोट देने वाले लोगों के जनादेश के साथ धोखा है।’
‘जम्मू-कश्मीर को लेकर बीजेपी हताश’
रवींद्र शर्मा ने कहा कि यह संख्या में हेरफेर करने के लिए भाजपा की हताशा को दर्शाता है, हालांकि पार्टी किसी भी तरह से सरकार नहीं बना सकती। शर्मा ने कहा कि उपराज्यपाल को मंत्रिपरिषद की सलाह पर काम करना होता है और अगर मतगणना के बाद ऐसी स्थिति पैदा होती है तो बहुमत को अल्पमत में बदलने के लिए नामांकन के प्रावधान का दुरुपयोग होगा। उन्होंने कहा, ‘भाजपा ने शायद धोखाधड़ी करने के लिए नामांकन का यह प्रावधान रखा है।’