बिहार में 352,600 छात्रों को बड़ा झटका, एस सिद्धार्थ ने ‘लाभ’ पर लगाई रोक

बिहार में शिक्षा विभाग के द्वारा किए गए एक बड़े खुलासे ने 3,52,600 छात्रों के दोहरे नामांकन की कहानी को उजागर किया है। यह नामांकन निजी और सरकारी दोनों स्कूलों में पाया गया है, जिससे यह सवाल उठता है कि क्या ये छात्र सरकारी योजनाओं का लाभ उठा रहे थे। इस मुद्दे की गंभीरता को समझते हुए, शिक्षा विभाग ने सभी जिला शिक्षा अधिकारियों (डीईओ) को सुधारात्मक कार्रवाई के निर्देश दिए हैं।
नालंदा जिले में सबसे अधिक 8,274 छात्रों के दोहरे नामांकन मिले हैं, जबकि मधुबनी में 19,200 और सीतामढ़ी में 18,490 छात्रों के ऐसे मामले सामने आए हैं। इन छात्रों को सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिलेगा, जिससे उनकी शिक्षा और भविष्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। चौंकाने वाली बात यह है कि कई छात्रों की कक्षा भी दोनों स्कूलों में अलग-अलग पाई गई है, जिससे धोखाधड़ी की संभावना बढ़ जाती है।
यह मामला तब सामने आया जब बिहार शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव एस सिद्धार्थ ने 27 सितंबर को ‘ई-शिक्षाकोश’ पोर्टल की समीक्षा की। इस पोर्टल पर सभी सरकारी और मान्यता प्राप्त निजी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों के आधार नंबर के साथ विवरण दर्ज करने की आवश्यकता थी। हालांकि, बिना आधार कार्ड वाले बच्चों की संख्या अधिक होने के कारण बाद में उनके नाम भी पोर्टल पर अपलोड करने का निर्देश दिया गया था।
जानकारों के अनुसार, यह कोई नया मामला नहीं है, क्योंकि इससे पहले भी बिहार में शिक्षा के क्षेत्र में घोटालों का खुलासा होता रहा है। एस सिद्धार्थ की इस कार्रवाई से शिक्षा विभाग में सुधार की उम्मीद जगी है, जिससे भविष्य में ऐसे फर्जीवाड़े पर काबू पाया जा सके।