मतदान का राजनीतिक असर: जम्मू-कश्मीर में किस दल को मिलेगी बढ़त

जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव के दूसरे चरण में 6 जिलों की 26 सीटों पर मतदान समाप्त हो गया है। इस चरण में 25.78 लाख मतदाताओं ने सुबह 7 बजे से लेकर शाम 6 बजे तक वोट डाले। मतदान की प्रक्रिया में बंपर भागीदारी देखने को मिली, और अब तक के आंकड़ों के अनुसार, जम्मू-कश्मीर में कुल 56.05% मतदान हुआ है। यह आंकड़ा अभी तात्कालिक है, जबकि चुनाव आयोग द्वारा अंतिम डेटा बाद में जारी किया जाएगा।
पहले चरण में 18 सितंबर को 7 जिलों की 24 विधानसभा सीटों पर 61.4% वोटिंग हुई थी। कुल मिलाकर, दोनों चरणों के मतदान के साथ राज्य की 90 में से 50 सीटों पर वोटिंग पूरी हो चुकी है, जबकि शेष 40 सीटों पर 1 अक्टूबर को मतदान होगा।
अब यह समझना महत्वपूर्ण है कि दो चरणों में हुई बंपर वोटिंग के क्या राजनीतिक मायने हैं। यह बात भी विचारणीय है कि इससे BJP और कांग्रेस-नेशनल कॉन्फ्रेंस (NC) गठबंधन में किसे फायदा हो सकता है।
पहले चरण में सर्वाधिक मतदान किश्तवाड़ में 80.20% हुआ, जबकि पुलवामा में सबसे कम 46.99% वोटिंग दर्ज की गई थी। पिछले चुनावों की तुलना करें तो 2008 में दूसरे चरण में 55% और 2014 में 62% मतदान हुआ था। वर्तमान में, 2024 के आंकड़ों के मुताबिक 56.05% वोटिंग हुई है, जो यह संकेत देती है कि मतदाताओं की भागीदारी स्थिर बनी हुई है।
दूसरे चरण में कई प्रमुख दिग्गजों की किस्मत दांव पर है। इनमें नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता और पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला बडगाम सीट से चुनाव लड़ रहे हैं, जबकि वे गांदरबल सीट से भी अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। इसके अलावा, जम्मू-कश्मीर अपनी पार्टी के सैयद मोहम्मद अल्ताफ़ बुख़ारी चन्नापोरा सीट पर चुनावी मैदान में हैं, और PDP के नेता गुलाम नबी लोन चरार-ए-शरीफ सीट से चुनाव लड़ रहे हैं।
BJP के रवींद्र रैना नौशेरा सीट से और अशोक कुमार भट्ट हब्बाकदल सीट से चुनाव में अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। पूर्व मंत्री मुश्ताक अहमद शाह बुखारी सुरनकोट सुरक्षित सीट से BJP के टिकट पर मैदान में हैं। वहीं, कांग्रेस के मोहम्मद शब्बीर खान थानामंडी सुरक्षित सीट पर चुनाव लड़ रहे हैं, जो राज्य के पूर्व स्वास्थ्य मंत्री रह चुके हैं। जम्मू-कश्मीर कांग्रेस के अध्यक्ष तारिक हमीद कर्रा मध्य शाल्टेंग सीट से अपनी राजनीतिक चुनौती का सामना कर रहे हैं।
इस चुनावी परिदृश्य में, मतदान के परिणामों से यह स्पष्ट होगा कि कौन-सी पार्टी या गठबंधन जम्मू-कश्मीर में सत्तारूढ़ होने का अवसर प्राप्त करेगा। मतदाताओं की बड़ी भागीदारी इस बात का संकेत है कि राजनीतिक दलों के प्रति लोगों में उत्सुकता बनी हुई है। यह भी दर्शाता है कि मतदाता सक्रिय रूप से अपनी आवाज उठाने के लिए तैयार हैं और अपनी भविष्य की दिशा तय करने में संलग्न हैं।
इस चुनाव में, सभी प्रमुख राजनीतिक दलों के लिए यह महत्वपूर्ण है कि वे अपने-अपने वोट बैंक को सुरक्षित रखें और मतदाताओं के मुद्दों को प्राथमिकता दें। यदि BJP अपने आधार को मजबूत करती है, तो यह गठबंधन के लिए एक बड़ी चुनौती पेश कर सकता है। वहीं, कांग्रेस और NC को एकजुट होकर चुनावी मुकाबले में अपनी ताकत दिखानी होगी।
अंततः, मतदान के ये आंकड़े और दिग्गज नेताओं की उपस्थिति इस बात का संकेत हैं कि जम्मू-कश्मीर की राजनीति में आगामी बदलाव संभव है, और यह चुनाव राज्य के भविष्य के लिए निर्णायक सिद्ध हो सकता है।