औरंगाबाद में आंगनबाड़ी सेविकाओं का जोरदार प्रदर्शन, एफआरएस सिस्टम और वेतन को लेकर सरकार के खिलाफ नारेबाजी
औरंगाबाद: एफआरएस सिस्टम व वेतन बढ़ोतरी की मांग को लेकर आंगनबाड़ी सेविकाओं का समाहरणालय पर घेराव
बिहार में बजट सत्र के दौरान सरकार ने हर सेक्टर के लिए कई बड़े ऐलान किए, लेकिन इसी बीच मंगलवार को औरंगाबाद जिले में सैकड़ों आंगनबाड़ी सेविकाओं ने अपनी विभिन्न मांगों को लेकर समाहरणालय का घेराव किया। इसके बाद दानी बिगहा स्थित पार्क के समीप एक दिवसीय धरना दिया गया। यह आंदोलन बिहार राज्य आंगनबाड़ी सेविका संघ (सीटू) के बैनर तले किया गया, जिसकी अध्यक्षता जिलाध्यक्ष रविंद्र कुमार सिंह ने की और संचालन डॉ. विनोद ने किया।
सरकार की नीति पर उठाए सवाल, एफआरएस प्रणाली का विरोध
संघ के अध्यक्ष रविंद्र कुमार सिंह ने कहा कि बिहार सरकार द्वारा लागू किया जा रहा एफआरएस (FRS) सिस्टम पूरी तरह गलत है और इसे लागू करना असंभव है। उन्होंने कहा:
1. आज तक आंगनबाड़ी सेविकाओं को नए मोबाइल फोन उपलब्ध नहीं कराए गए।
2. सरकार द्वारा समय पर मोबाइल रिचार्ज की सुविधा नहीं दी जाती।
3. सभी लाभार्थियों के पास मोबाइल फोन नहीं हैं, खासकर छोटे बच्चों के पास।
4. सभी लाभार्थियों के पास आधार कार्ड तो है, लेकिन डिजिटल प्रक्रिया में कई परेशानियां हैं।
उन्होंने कहा कि इन हालातों में एफआरएस नियम लागू करना असंभव है और सरकार की नीति पूरी तरह गलत है।
वेतन वृद्धि और सरकारी दर्जे की मांग
संघ ने अपनी प्रमुख मांगें भी रखीं, जिसमें शामिल हैं:
आंगनबाड़ी सेविकाओं और सहायिकाओं को सरकारी कर्मचारी का दर्जा दिया जाए।
सेवानिवृत्ति तक सेविकाओं को ₹26,000 और सहायिकाओं को ₹18,000 मासिक मानदेय मिले।
गुजरात की तर्ज पर ग्रेच्युटी लागू की जाए।
सामाजिक सुरक्षा योजनाओं का लाभ आंगनबाड़ी सेविकाओं को मिले।
संघ ने सरकार को चेतावनी दी कि यदि उनकी मांगें पूरी नहीं की गईं, तो वे बड़े आंदोलन के लिए बाध्य होंगे और अनिश्चितकालीन हड़ताल भी करेंगे।
प्रदर्शन में बड़ी संख्या में सेविकाओं की भागीदारी
इस विरोध प्रदर्शन में नंदू मेहता, गुड्डू कुमार, चितरंजन कुमार, गुरु चरण प्रसाद, सूर्य देव पांडेय, गीता कुमारी, रुबी कुमारी, पुष्पा कुमारी, सुनीता कुमारी, अर्चना कुमारी, मंजू कुमारी, कुमारी सुमन लता, तेतरी देवी समेत सैकड़ों आंगनबाड़ी सेविकाएं शामिल रहीं।
सरकार की तरफ से अब तक कोई ठोस आश्वासन नहीं दिया गया है, लेकिन यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या आंगनबाड़ी सेविकाओं की ये मांगें पूरी होती हैं या संघर्ष और लंबा चलता है।