Success Story: पिता के अधूरे सपने को किया पूरा, पूर्णिया के अमेय श्रेष्ठ बने चार्टर्ड अकाउंटेंट
बिहार की प्रतिभा का नया सितारा
बिहार की मिट्टी में प्रतिभा और मेहनत का संगम सदियों से देखा जाता रहा है। इसी परंपरा को आगे बढ़ाते हुए, पूर्णिया जिले के अमेय श्रेष्ठ ने अपने संघर्ष और संकल्प से न केवल अपने पिता का सपना पूरा किया, बल्कि हजारों युवाओं के लिए प्रेरणा भी बन गए।
23 साल की उम्र में, पहले ही प्रयास में, इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड अकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया (ICAI) की प्रतिष्ठित परीक्षा पास कर उन्होंने इतिहास रच दिया। मई 2024 में आयोजित सीए फाइनल परीक्षा में 600 में से 407 अंक प्राप्त कर अमेय ने साबित कर दिया कि मेहनत और दृढ़ निश्चय से कोई भी लक्ष्य असंभव नहीं होता।
पिता का सपना बना जीवन का लक्ष्य
अमेय के पिता अमर वर्मा कभी खुद चार्टर्ड अकाउंटेंट बनना चाहते थे, लेकिन आर्थिक तंगी के कारण उनका यह सपना अधूरा रह गया। हालांकि, उन्होंने संकल्प लिया कि उनका बेटा इस सपने को जरूर साकार करेगा।
अमेय ने भी इस सपने को अपनी प्राथमिकता बनाया और दिन-रात मेहनत कर सीए की कठिन परीक्षा में सफलता प्राप्त की।
साइंस स्ट्रीम से कॉमर्स तक: एक साहसिक फैसला
अमेय की शुरुआती शिक्षा पूर्णिया जिले के सेंटिल पब्लिक स्कूल में हुई। बाद में उन्होंने बिजेंद्र पब्लिक स्कूल से भौतिकी, रसायन विज्ञान और गणित (PCM) के साथ 11वीं और 12वीं की पढ़ाई की।
शुरुआत में उनका सपना भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) में जाने का था, और उनकी मां भी यही चाहती थीं। लेकिन जब उन्हें एहसास हुआ कि उनके पिता की सबसे बड़ी ख्वाहिश उन्हें चार्टर्ड अकाउंटेंट के रूप में देखने की है, तो उन्होंने अपने करियर का रुख बदल दिया।
कॉमर्स बैकग्राउंड न होने के कारण यह सफर उनके लिए बेहद चुनौतीपूर्ण था। परिवार में कोई सीए नहीं था, इसलिए हर कदम पर खुद ही रास्ता बनाना पड़ा। लेकिन अमेय ने हार नहीं मानी और अनुशासन व मेहनत के दम पर इस चुनौती को अवसर में बदल दिया।
त्याग, समर्पण और अनुशासन बना सफलता की कुंजी
चार्टर्ड अकाउंटेंसी की परीक्षा अपने कठिन स्तर और कम पास प्रतिशत के लिए जानी जाती है। लेकिन अमेय ने हर दिन अनुशासन के साथ पढ़ाई की, डिस्ट्रैक्शन से दूर रहे और स्टडी मटेरियल को पूरी निष्ठा से पढ़ा।
उन्होंने कई सामाजिक समारोहों में जाना भी छोड़ दिया, ताकि उनका ध्यान लक्ष्य से न भटके। अमेय का मानना है कि सफलता के लिए कड़ी मेहनत, धैर्य और आत्मविश्वास सबसे जरूरी है।
बिहार के युवाओं के लिए प्रेरणा
अमेय श्रेष्ठ की यह सफलता सिर्फ एक परीक्षा पास करने की कहानी नहीं है, बल्कि यह त्याग, संघर्ष और संकल्प की गाथा है।
उन्होंने दिखाया कि सपने सिर्फ देखे ही नहीं जाते, बल्कि उन्हें पूरा करने के लिए मेहनत और समर्पण की जरूरत होती है। उनकी इस उपलब्धि से बिहार के युवाओं को एक नई ऊर्जा और दिशा मिलेगी।
उन्होंने साबित किया कि अगर इच्छाशक्ति मजबूत हो और सही मार्गदर्शन मिले, तो बिहार के छोटे गांवों से भी बड़ी कामयाबी हासिल की जा सकती है।