महाकुंभ: सवा करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं ने संगम में डुबकी लगाई, जयकारों से गूंज उठा संगम क्षेत्र

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पौष पूर्णिमा पर महाकुंभ के पहले स्नान पर्व के दौरान, संगम में श्रद्धालुओं की भक्ति और आस्था का अद्भुत दृश्य देखने को मिला। सोमवार को शाम चार बजे तक करीब एक करोड़ श्रद्धालुओं ने गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती के संगम में डुबकी लगाई, और मेला प्रशासन के दावों के अनुसार, देर शाम तक यह आंकड़ा सवा करोड़ तक पहुंच सकता था। तुलसीदास की चौपाई “अस तीरथपति देखि सुहावा/ सुख सागर रघुबर सुखु पावा” के साथ संगम में श्रद्धालुओं की आस्था प्रकट हुई, जो इस पवित्र आयोजन का प्रतीक बन गई।

 

संगम के लिए श्रद्धालुओं की यात्रा और उत्साह

 

कड़ाके की ठंड के बावजूद, श्रद्धालु संगम में डुबकी लगाने के लिए दूर-दूर से पहुंचे थे। कुछ लोग पैदल यात्रा करते हुए आए, तो कुछ लोग अपने परिवार और बच्चों को साथ लेकर बढ़ते हुए नजर आए। मध्यप्रदेश के सागर से आई ममता भट्ट ने आठ किलोमीटर की पैदल यात्रा की, जबकि अन्य श्रद्धालुओं ने भी इस धार्मिक यात्रा में श्रद्धा और आस्था की भावना के साथ भाग लिया। रास्तों पर भक्ति की लहरों से सजे श्रद्धालुओं का एक रेला लग रहा था, जो संगम की ओर बढ़ता जा रहा था।

 

पैदल मार्ग पर बैरिकेडिंग और परेशानियाँ

 

महाकुंभ के पहले दिन संगम जाने वाली सड़कों पर आस्था के फेरे बढ़ाए जाने से श्रद्धालुओं को कई परेशानियों का सामना करना पड़ा। काली मार्ग पर बांध पर चढ़ने पर पुलिस ने संगम मार्ग पर जाने का रास्ता पूरी तरह से बंद कर दिया था, जिससे श्रद्धालु बेतहाशा धक्के खाते रहे। पुलिस के आला अफसरों की मौजूदगी के बावजूद यह स्थिति बनी रही। इसके बाद, श्रद्धालुओं को लंबी दूरी तय करनी पड़ी और कई बार रास्ते बदलने पड़े।

 

महामंडलेश्वर के साथ पुलिस की तकरार

 

गुजरात के जूनागढ़ से आए जूना अखाड़े के महामंडलेश्वर गर्गाचार्य महेंद्रानंद गिरि को भी पुलिस द्वारा रोक दिया गया। उनकी दो इनोवा कारों को बांध के पास रोक लिया गया, जिसके बाद काफी बहस-मुबाहिसे के बावजूद उन्हें वापस लौटना पड़ा। इस घटना ने मेला प्रशासन की तैयारियों पर सवाल उठाए, क्योंकि यह सब तब हुआ जब पुलिस के आला अफसर भी मौके पर मौजूद थे।

 

सेल्फी प्वाइंट पर भीड़ और तकरार

 

महाकुंभ 2025 के दौरान हनुमान मंदिर के पास बने नंदी द्वार के पास सेल्फी प्वाइंट पर भी भारी भीड़ जमा थी। श्रद्धालु अपने परिवार के साथ तस्वीरें खिंचवाने के लिए बेताब थे, और यह भीड़ समय-समय पर तकरार में बदल रही थी, जब कुछ लोग अपनी बारी का इंतजार किए बिना जबरन फोटो खिंचवाने लगे। यह दृश्य महाकुंभ के दौरान श्रद्धालुओं के उत्साह और प्रतीक्षा के समय का प्रतीक था।

 

महाकुंभ का यह आयोजन न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि भारतीय संस्कृति की समृद्धि और विविधता को भी दर्शाता है।

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