युवाओं में खूबसूरती की चिंता से बढ़े मनोरोग के मामले

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आजकल युवा खूबसूरत दिखने के लिए अधिक चिंतित रहते हैं, और यही चिंता उन्हें मानसिक समस्याओं, जैसे बॉडी डिस्मॉर्फिया (शारीरिक विकृति का मानसिक भ्रम) का शिकार बना रही है। बरेली में ऐसे मामलों में हाल के समय में बढ़ोतरी देखी जा रही है। शारीरिक रूप से स्वस्थ होते हुए भी कुछ लोग अपनी आँख, नाक, कान या चेहरे के अन्य हिस्सों को भद्दा मानते हैं और इन्हें बदलने की चाहत रखते हैं। यह केवल खूबसूरती की चिंता नहीं, बल्कि एक गंभीर मानसिक विकार है, जो मानसिक स्वास्थ्य पर गहरा असर डाल सकता है।बरेली के मनोचिकित्सालय स्थित टेली मानस केंद्र की काउंसलर शिवानी सिंह बताती हैं कि पिछले छह महीनों में इस तरह के मामलों में काफी वृद्धि हुई है। पहले ऐसे मामले बहुत कम आते थे, लेकिन अब ऐसे दर्जनों मामले सामने आ रहे हैं। इनमें से कई युवाओं ने अपनी शारीरिक बनावट सुधारने के लिए प्लास्टिक सर्जरी तक करवाई, फिर भी वे संतुष्ट नहीं हो पाए और मानसिक असंतोष का शिकार हो गए। ऐसे लोग खुद को दोषी मानकर समाज से कटने लगते हैं और मानसिक अवसाद की स्थिति में पहुंच जाते हैं।

सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स, खासकर इंस्टाग्राम और टिकटॉक, पर अपनी तस्वीरें और वीडियो पोस्ट करने की चाहत युवाओं को इस मानसिक स्थिति की ओर खींच रही है। वे अपनी शारीरिक बनावट को बदलने की कोशिश करते हैं ताकि ज्यादा लाइक्स और तारीफें मिलें। अगर उन्हें वह प्रतिक्रिया नहीं मिलती, तो वे मानसिक तनाव और अवसाद का शिकार हो जाते हैं। काउंसलिंग के जरिए उन्हें आत्मविश्वास बढ़ाने और सकारात्मक दृष्टिकोण अपनाने की कोशिश की जाती है।बरेली के एक 30 वर्षीय युवक ने सोशल मीडिया पर एक रील्स के पात्र जैसा दिखने के लिए दवाइयाँ लेना शुरू किया, लेकिन दवाइयाँ लेने के बावजूद उसकी तबियत बिगड़ने लगी। अंत में, उसने काउंसलिंग के लिए टेली मानस से संपर्क किया। इसी तरह, एक 24 वर्षीय युवती ने अपनी नाक की सर्जरी करवाने के बाद भी अपने रूप से संतुष्ट नहीं महसूस किया और मानसिक तनाव का शिकार हो गई।

मनोचिकित्सक डॉ. आशीष कुमार के अनुसार, सोशल मीडिया पर रील्स देखकर दिमाग में डोपामीन हार्मोन का स्तर बढ़ता है, जो धीरे-धीरे मानसिक स्थिति को प्रभावित करता है और युवा खुद को आदर्श रूपों से जोड़ने की कोशिश करते हैं।इस मानसिक विकार से बचाव के लिए जरूरी है कि हम अपनी प्राकृतिक शारीरिक संरचना को स्वीकार करें, आत्मविश्वास बनाए रखें और अच्छे आहार व नियमित दिनचर्या अपनाएं। अगर मानसिक स्थिति बिगड़े, तो काउंसलर से मदद लें।

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