जैसलरमेर से निकला था अचानक पानी: वैज्ञानिकों ने लगाया अंदाज़ा 60 लाख पुराना है पानी
जैसलमेर के मोहनगढ़ क्षेत्र में बीते दिनों ट्यूबवेल की बोरिंग के दौरान ट्रक के साथ मशीन जमीन में समा गई थी. इस दौरान जमीन से भारी प्रेशर के साथ पानी निकला था, जिससे आसपास समंदर जैसा नजारा बन गया था. इस पानी को लेकर सब अलग-अलग दावे कर रहे थे एक दवा यह भी किया गया था कि यह पानी सरस्वती नदी का हो सकता है जो कई साल पहले लुप्त हो गई थी अब इस दावे को वैज्ञानिकों ने तेरे से खारिज किया है.
प्रेशर के साथ सफेद रंग की मिट्टी भी पानी के साथ आई थी, मिट्टी चिकनी है इसी को लेकर कई लोगों ने से सरस्वती नदी का पानी बताया. यह खान पानी खा रहा है जिसकी वजह से सरस्वती नदी के दावे को वैज्ञानिकों ने खारिज कर रहे हैं. दरअसल जैसलमेर का यह इलाका करीब 25 करोड़ साल पहले टैथिस सागर का हुआ करता था। इसे लेकर कई वैज्ञानिक शोध में जुटे हुए हैं। बोरवेल का खारा पानी और सफेद चिकनी मिट्टी समुद्र के पानी से मिलते जुलते पानी की लग रही है।
भूजल विशेषज्ञों के मुताबिक जमीन से टेरिटरी कल की सेंड निकल रही है। इसके मध्य नजर के पानी 60 लाख साल पुराना होने की संभावना नजर आ रही है। यह पानी वैदिक काल से भी पुराना हो सकता है इसको लेकर इस पर शोध जारी है। इस शोध के लिए यहां पर कई कुएं खोदने की आवश्यकता पड़ सकती है।
जैसलमेर के मोहनगढ़ में एक खेत में ट्यूबवेल के लिए बोरिंग हो रही थी। उसी समय ट्रक और मशीन जमीन में समा गए और अंदर से बहुत ही तीव्र धारा में पानी निकलने लगा। यह अपनी तीन दिन तक बहता रहा। इसी को लेकर बड़ौदा में ओएनजीसी की क्राइसिस मैनेजमेंट की टीम मौके पर पहुंची और स्पॉट पर शोध शुरू कर दिए। इसके बाद ट्यूबवेल वाले गड्ढे में दबे ट्रक और मशीन को निकाला जाए या नहीं इसी के साथ अन्य तकनीकी रिपोर्ट कलेक्टर प्रताप सिंह नाथावत को सौंप दी गई। पानी के गड्ढे से पानी का लगातार स्तर कम हो रहा है, लेकिन अंदर से अभी गैस निकल रही है पानी से गैस के बुलबुले निकल रहे हैं