मध्यप्रदेश: कैबिनेट बैठक में बड़ा फैसला, डिजिटल होगा जन्म-मृत्यु प्रमाण-पत्र

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भोपाल में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की अध्यक्षता में गुरुवार को हुई कैबिनेट बैठक में प्रदेश के विकास के लिए कई महत्त्वपूर्ण निर्णय लिए गए। इन निर्णयों का उद्देश्य प्रशासनिक प्रक्रियाओं को सरल बनाना, कृषि और जल संसाधनों के प्रबंधन में सुधार करना, तथा जनजातीय और ग्रामीण क्षेत्रों में योजनाओं का प्रभावी क्रियान्वयन सुनिश्चित करना है।

 

कैबिनेट ने मध्यप्रदेश जन्म और मृत्यु रजिस्ट्रीकरण नियम, 2024 को मंजूरी दी। इस नियम के तहत डिजिटल रजिस्ट्रीकरण प्रणाली लागू की जाएगी, जिससे जन्म और मृत्यु प्रमाणपत्र जारी करना अधिक सरल और पारदर्शी होगा। यह नियम राष्ट्रीय और राज्य स्तरीय डेटाबेस के निर्माण और विशेष परिस्थितियों जैसे दत्तक, सरोगेसी या एकल माता-पिता के मामलों में रजिस्ट्रीकरण को आसान बनाएगा। विलंबित सूचना के मामलों में स्व-अनुप्रमाणित दस्तावेजों का उपयोग करने की अनुमति दी गई है, जिससे प्रक्रिया अधिक सुगम होगी।

 

कृषि क्षेत्र में सुधार के लिए 11 के.वी. फीडर्स का सोलराइजेशन योजना को स्वीकृति दी गई। इसके तहत सौर ऊर्जा से संचालित फीडर्स का निर्माण होगा, जिससे किसानों को दिन के समय सिंचाई के लिए बिजली उपलब्ध हो सकेगी। यह कदम लो-वोल्टेज और पावर कट की समस्या को कम करने में सहायक होगा। प्रधानमंत्री कुसुम योजना के तहत सोलर प्लांट्स की स्थापना के लिए केंद्र सरकार से सहायता भी मिलेगी।

 

सिंहस्थ मेले के दृष्टिगत क्षिप्रा नदी पर 29.215 किमी लंबे घाट के निर्माण की मंजूरी दी गई। इस परियोजना पर ₹778.91 करोड़ की लागत आएगी। घाट निर्माण से धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा और क्षेत्र का समग्र विकास होगा। इसके साथ ही, संशोधित पार्वती-कालीसिंध-चंबल लिंक परियोजना को भी मंजूरी दी गई, जिसकी लागत ₹28,798.02 करोड़ होगी। इस परियोजना से 4.73 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी, जिससे किसानों की आय में वृद्धि होगी।

 

जनजातीय क्षेत्रों के विकास के लिए धरती आबा-जनजातीय ग्राम उत्कर्ष अभियान (DAJGUA) की सैद्धांतिक स्वीकृति प्रदान की गई। इस अभियान के तहत स्वास्थ्य, शिक्षा, महिला सशक्तिकरण, ऊर्जा, और कृषि से जुड़ी योजनाओं का 100% क्रियान्वयन सुनिश्चित किया जाएगा। इन योजनाओं से जनजातीय समुदायों की सामाजिक और आर्थिक स्थिति में सुधार होगा।

 

शासकीय आयुर्वेद, यूनानी और होम्योपैथी महाविद्यालयों में इंटर्नशिप और वेतन में वृद्धि को भी स्वीकृति दी गई है। छात्रों की शिष्यवृत्ति को उपभोक्ता मूल्य सूचकांक से जोड़ा जाएगा, जिससे आयुष शिक्षा और स्वास्थ्य क्षेत्र में सुधार होगा।

 

इन निर्णयों से मध्यप्रदेश में डिजिटल प्रक्रियाओं का विस्तार, सौर ऊर्जा के उपयोग में वृद्धि, जल संसाधनों का विकास, और जनजातीय क्षेत्रों में योजनाओं का प्रभावी क्रियान्वयन होगा। इन कदमों से प्रदेश के समग्र विकास को नई दिशा मिलेगी।

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