उत्तराखंड: हिम तेंदुए के आहार का गहराई से अध्ययन, भारतीय वन्यजीव संस्थान ने की नई खोज

भारतीय वन्यजीव संस्थान (WII) ने हिमालयी क्षेत्रों में ब्लू शीप की एक नई उप-प्रजाति की खोज की है। यह नई जानकारी जीनोम जांच पर आधारित तीन वर्षों के विस्तृत अध्ययन से सामने आई है। अब तक ब्लू शीप की केवल एक प्रजाति ज्ञात थी, लेकिन इस अध्ययन ने इसकी विविधता में एक नया आयाम जोड़ा है। ब्लू शीप, जिसे स्थानीय रूप से भारल कहा जाता है, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, लद्दाख, अरुणाचल प्रदेश और सिक्किम जैसे हिमालयी राज्यों में 2500 से 5500 मीटर की ऊंचाई पर पाई जाती है।
अध्ययन में यह भी पता चला कि ब्लू शीप पश्चिमी से पूर्वी हिमालय तक प्रवास करती हैं। इस माइग्रेशन का पता लगने से क्षेत्रीय पारिस्थितिकी और जैव विविधता के अध्ययन को नई दिशा मिली है। ब्लू शीप हिमालयी पारिस्थितिकी तंत्र का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं और हिम तेंदुए (स्नो लेपर्ड) के आहार में इनका प्रमुख स्थान है। हिम तेंदुओं के संरक्षण में यह खोज एक बड़ी भूमिका निभा सकती है।
वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. एसके गुप्ता ने बताया कि ब्लू शीप की नई उप-प्रजाति और उनके प्रवास की जानकारी हिमालयी पारिस्थितिकी को बेहतर ढंग से समझने में मदद करेगी। हिम तेंदुए और ब्लू शीप के बीच इस परस्पर संबंध को समझने से संरक्षण की रणनीतियों को और अधिक प्रभावी बनाया जा सकेगा। भारतीय वन्यजीव संस्थान के वैज्ञानिक शिवम श्रोत्रिय के एक पूर्व अध्ययन में भी यह पाया गया था कि हिम तेंदुए के आहार में ब्लू शीप का प्रमुख स्थान है।
इस शोध टीम में दीपेश सैनी, विष्णु प्रिया, डॉ. सेल्वाडोर, और डॉ. एस सत्य कुमार जैसे वैज्ञानिक शामिल थे। तीन वर्षों तक चले इस अध्ययन का उद्देश्य हिमालयी जैव विविधता को समझना और संरक्षित करना था।
ब्लू शीप की नई उप-प्रजाति और उनके माइग्रेशन पैटर्न की जानकारी संरक्षण के प्रयासों को नई दिशा दे सकती है। हिम तेंदुए की खाद्य श्रृंखला और पारिस्थितिक संतुलन को बनाए रखने में यह शोध अत्यंत सहायक सिद्ध होगा। यह अध्ययन हिमालयी जैव विविधता और पारिस्थितिकी को संरक्षित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है।