‘खेलने दो’ कहकर दादा ने किया समर्थन, बेटी ने एथलेटिक्स में लहराया परचम

धर्मपुर गांव की शिखा यादव ने अपनी कठिन मेहनत और लगन से जूनियर नेशनल एथलेटिक्स प्रतियोगिता में स्वर्ण पदक जीतकर पूरे क्षेत्र को गर्वित किया है। अजगरा की इस होनहार एथलीट ने 2020 में अपने गांव से निकलकर खेल की दुनिया में कदम रखा और सिंथेटिक ट्रैक पर शानदार प्रदर्शन किया। शिखा ने ओडिशा में आयोजित तीन किलोमीटर वाक रेस में स्वर्ण पदक जीता, जिससे उनकी कड़ी मेहनत और समर्पण का प्रमाण मिलता है।
शिखा के लिए यह सफर आसान नहीं था। बचपन में वह लड़कों के साथ दौड़ती थी, लेकिन उनके पिता ने उसे इस खेल से रोकने की कोशिश की थी। हालांकि, दादा छविनाथ यादव ने उसका समर्थन किया और उसे खेलने की पूरी स्वतंत्रता दी। 2020 में, कक्षा नौवीं में रहते हुए, शिखा ने भारत सेवक समाज इंटर कॉलेज की ओर से प्रादेशिक प्रतियोगिता में भाग लिया और स्वर्ण पदक जीता। उसके बाद से उनका सफर निरंतर सफलता की ओर बढ़ता गया। उन्होंने 2022 में भी प्रादेशिक प्रतियोगिता में स्वर्ण पदक जीता और 2024 में छत्तीसगढ़ में आयोजित यूथ नेशनल प्रतियोगिता में तीन किलोमीटर वाक रेस में रजत पदक प्राप्त किया।
शिखा का खेल को लेकर जुनून इतना था कि वह घर से 16 किलोमीटर दूर लालपुर में किराए पर कमरा लेकर रहती थीं, जहां उन्हें एथलेटिक्स कोच चंद्रभान यादव से ट्रेनिंग मिलती थी। उनका मानना है कि खेल और पढ़ाई दोनों को साथ में निभाना एक बड़ी चुनौती है, लेकिन उन्होंने इसे पूरी तरह से स्वीकार किया।
रविवार को धर्मपुर में आयोजित भव्य स्वागत समारोह में जिला ओलंपिक संघ के उपाध्यक्ष डॉ. अशोक कुमार सिंह ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में प्रतिभाओं की कोई कमी नहीं है, बस उन्हें सही समय पर खोजने और प्रशिक्षण देने की जरूरत है। इस मौके पर अंतरराष्ट्रीय धावक रमेश यादव ने शिखा को अंतरराष्ट्रीय स्तर का जूता देने का वादा किया। शिखा की कड़ी मेहनत और समर्पण ने उसे न केवल एक पदक विजेता बनाया, बल्कि उसने यह साबित किया कि हर गांव में छुपी हुई प्रतिभा को अगर सही दिशा मिले, तो वह दुनिया में नाम रोशन कर सकती है।