आईईपीएफ में अटका करोड़ों का लाभांश, कंपनियों का सत्यापन प्रक्रिया से जुड़ा आवेदन जारी

कानपुर शहर के 30 हजार निवेशकों का लगभग 100 करोड़ रुपये का निवेश इंवेस्टर एजूकेशन एंड प्रोटेक्शन फंड (आईआईपीएफ) में फंसा हुआ है। इन निवेशकों ने आवेदन किया है, लेकिन उन्हें अब तक इस फंड से कोई लाभ नहीं मिल पा रहा है। स्थिति यह है कि शेयर जारी करने या लाभांश देने वाली कंपनियां अपने निवेशकों के आवेदन सत्यापित करने के बाद उन्हें इंवेस्टर एजूकेशन एंड प्रोटेक्शन फंड प्राधिकरण (आईआईपीएफए) को भेज रही हैं, फिर भी लंबे समय से इन आवेदनों का निस्तारण नहीं किया जा रहा है। इस मामले की गंभीरता को देखते हुए इसकी शिकायत कारपोरेट मंत्रालय में की गई है, लेकिन अभी तक कोई ठोस समाधान नहीं निकला है।
कंपनी अधिनियम के तहत उन शेयरों के लाभांश का दावा नहीं किया जाता, जो लगातार सात साल तक अनुत्तरित रहते हैं। ऐसी स्थिति तब उत्पन्न होती है जब निवेशकों का पता बदल जाता है, या किसी कारणवश कंपनी को इस बारे में जानकारी नहीं मिल पाती। इसके अलावा, कई मामलों में निवेशक की मृत्यु हो जाने के बाद उनके परिवार को उनके निवेश के बारे में जानकारी नहीं होती, जिसके कारण इन शेयरों को आईआईपीएफ में ट्रांसफर कर दिया जाता है।
कानपुर में इस समस्या से प्रभावित निवेशकों की संख्या 30 हजार है, जिनका कुल 100 करोड़ रुपये आईआईपीएफ में फंसा हुआ है। मर्चेंट चैंबर ऑफ उत्तर प्रदेश के कारपोरेट अफेयर्स कमेटी के चेयरमैन, सीएस आदेश टंडन ने बताया कि इन निवेशकों का लाभांश मिलने में अत्यधिक देरी हो रही है। कुछ निवेशकों की उम्र 80-85 साल तक हो गई है, और उनके शेयर भी उनके डीमैट अकाउंट में ट्रांसफर नहीं किए जा रहे हैं। इस स्थिति को लेकर मंत्रालय के मंत्री और सचिव को पत्र भेजा गया है।
निवेशकों को इस कठिनाई का सामना तब करना पड़ता है जब वे सालों इंतजार करने के बाद भी लाभांश या शेयर वापस नहीं प्राप्त कर पाते। इसके अतिरिक्त, कुछ धोखाधड़ी वाले लोग इन निवेशकों से 20-30 प्रतिशत कमीशन लेकर उन्हें धोखाधड़ी के तरीके से शेयर या राशि वापस दिलवाने का दावा कर रहे हैं, जिससे और भी समस्याएं उत्पन्न हो रही हैं।
आईआईपीएफ से जुड़ी प्रक्रियाओं में निवेशकों को दोहरा नुकसान हो रहा है। एक तो उनका निवेश वापस नहीं मिल पा रहा है, और दूसरी तरफ, बढ़ते बाजार में उनके पास इन शेयरों को बेचने का अवसर नहीं है। कुछ मामलों में, जैसे स्वरूपनगर निवासी महिला के पास स्टील कंपनी के 1013 शेयर हैं, जिनकी कीमत 8 लाख रुपये से अधिक है, या सिविल लाइंस में रहने वाले प्रोफेशनल के पास रिलायंस कंपनी के 2500 शेयर हैं, जिनकी कीमत 25 लाख रुपये है, इन मामलों में लाभांश और शेयर वापसी के आवेदन किए हुए 6-9 महीने हो चुके हैं, लेकिन अब तक कोई निस्तारण नहीं हुआ। भारतीय कानून के अनुसार, लाभांश मामलों का निस्तारण 60 दिन के भीतर किया जाना चाहिए, लेकिन यहां निवेशकों को महीने दर महीने इंतजार करना पड़ रहा है।