सिंचाई विभाग की लापरवाही, वर्षाकाल बीतने के बावजूद नदियों की तबाही को लेकर कोई ठोस कदम नहीं

बरसात का मौसम समाप्त हो चुका है, लेकिन शारदा नदी से होने वाली बाढ़ की तबाही को रोकने के लिए सिंचाई विभाग अब तक कोई ठोस कार्ययोजना नहीं बना सका है। ग्रामीणों का कहना है कि यदि समय रहते कोई ठोस योजना नहीं बनाई गई तो भविष्य में बाढ़ और भी विनाशकारी हो सकती है। खासकर कलीनगर तहसील के सीमावर्ती इलाके के गांवों, जैसे बूंदीभूड़, बंदरबोझ, और नौजल्हा नंबर एक और दो, जिनमें हर साल शारदा और अन्य नदियों की बाढ़ से भारी नुकसान होता है, अभी भी सुरक्षा के बिना हैं।
शारदा नदी भारत में प्रवेश करने से पहले नेपाल के नोमेंस लैंड से होकर गुजरती है, जहां हर साल बाढ़ का खतरा बढ़ता है। नेपाल सरकार ने अपने क्षेत्र में तटबंध बनाए हैं, लेकिन भारतीय क्षेत्र में तटबंध की कमी के कारण नुकसान बढ़ गया है। इस समस्या को सुलझाने के लिए सिंचाई विभाग और बाढ़ नियंत्रण योजनाओं का अभाव है। हालांकि, पिछले दिनों डीएम के निर्देश पर अभियंताओं की एक टीम ने क्षेत्र का दौरा किया था, लेकिन योजना बनाने और उस पर अमल करने की प्रक्रिया अब तक अधूरी है। ग्रामीणों का आरोप है कि अभियंता जिला प्रशासन को गुमराह कर रहे हैं और इस क्षेत्र में सिर्फ अस्थायी कार्य कर बजट को ठिकाने लगाने का प्रयास किया जा रहा है।
ग्रामीणों के अनुसार, शारदा नदी से होने वाली तबाही को रोकने के लिए ठोस कार्ययोजना की जरूरत है, खासकर नेपाल की नदियों से आने वाले पानी के असर को रोकने के लिए। हाल ही में, डीएम ने इस मामले की गंभीरता को समझते हुए सिंचाई विभाग के अभियंताओं के साथ बैठक की थी, जिसमें नेपाल की ओर किए गए कार्यों पर चर्चा की गई। हालांकि, अभी तक इस पर कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए हैं। ग्रामीणों का कहना है कि विभाग द्वारा की जा रही अस्थायी कार्य योजनाओं से कोई स्थायी समाधान नहीं निकलने वाला और अगर यह स्थिति जारी रही तो आने वाले समय में बाढ़ से होने वाली तबाही और भी बढ़ सकती है।