पहाड़ों में कुदरत का जादू: बर्फबारी के बाद चमक उठे पहाड़, शुरू हुई तीव्र ठंड

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पिथौरागढ़ जिले में हाल की बारिश और बर्फबारी से मौसम की स्थिति बदल गई है। जिले के कई हिस्सों में तेज बारिश हुई, जबकि धारचूला के ऊंचे इलाकों और मुनस्यारी में पहली बार बर्फबारी हुई। इसका नतीजा यह हुआ कि तापमान गिरकर कड़ाके की ठंड ने दस्तक दे दी। जिला मुख्यालय में न्यूनतम तापमान तीन डिग्री और मुनस्यारी में माइनस-एक डिग्री दर्ज किया गया। दारमा, चौदास और व्यास घाटियों के अलावा मुनस्यारी में बर्फ की मोटी चादर बिछी है, जिससे न सिर्फ स्थानीय लोग बल्कि पर्यटक भी खुश हैं।सोमवार सुबह से ही कनालीछीना, देवलथल, तेजम और अस्कोट जैसे स्थानों पर बारिश हुई, जबकि धारचूला की घाटियों में एक फुट और मुनस्यारी में छह इंच बर्फ गिरी। जिला मुख्यालय के पास चंडाक और थलकेदार में हल्की बर्फबारी हुई, जिससे तापमान और गिर गया। ठंड के कारण लोग हीटर, ब्लोवर और आग का सहारा लेने लगे और अधिकतर लोग घरों में ही ठिठुरन से बचने के लिए रुके रहे।

दारमा, व्यास, और चौदास घाटियों में तापमान माइनस-तीन डिग्री तक गिर गया, जिससे कई जल स्रोत जम गए और जल आपूर्ति प्रभावित हो गई। यहाँ के स्थानीय लोग और होम स्टे संचालक बर्फ पिघलाकर पीने का पानी जुटा रहे हैं।मुनस्यारी में बर्फबारी ने पर्यटकों को खासा आकर्षित किया। बच्चों ने बर्फ से खेलते हुए मूर्तियां बनाई और बर्फबारी का पूरा आनंद लिया। रविवार को 14 पर्यटकों की एक टीम पंचाचूली ग्लेशियर देखने आई थी। बर्फबारी के बाद उनकी खुशी का ठिकाना नहीं रहा।इस बर्फबारी ने थल-मुनस्यारी सड़क को भी प्रभावित किया, जिससे कई वाहन फंस गए और यात्री कड़ाके की ठंड में सड़क खुलने का इंतजार करते रहे। हालांकि, बाद में सड़क पर बर्फ पिघलने के बाद यातायात फिर से शुरू हो गया।बारिश ने किसानों को भी राहत दी है। लंबे समय से सूखा चल रहा था, जिससे फसलें सूखने लगी थीं, लेकिन अब बारिश से फसलें हरी-भरी हो गई हैं। कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि यह बारिश फसलें और बागवानी के लिए अच्छी है। ठंड बढ़ने के कारण भेड़पालक अपने भेड़ों के साथ तराई की ओर रवाना हो रहे हैं, ताकि ठंड से बच सकें।

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