46 लाख की ठगी का मामला, असद अहमद से क्राइम ब्रांच की गहन पूछताछ

इंदौर में 46 लाख रुपये की ठगी के मामले में क्राइम ब्रांच ने फलाह दारैन मदरसा समिति के सहप्रबंधक असद अहमद को रिमांड पर लिया है। असद, जो अभी 10 दिसंबर तक पुलिस हिरासत में है, ने अपने पिता अली अहमद के साथ मिलकर सितंबर में मदरसा समिति के नाम पर नौ बैंक खाते खुलवाए। इन खातों को मुख्य ठगों को 50% कमीशन पर सौंप दिया गया, जिनका उपयोग ठगी की रकम जमा करने के लिए किया गया।
इस मामले में एक वृद्ध महिला छाया से 46 लाख रुपये की ठगी की गई। ठगी की यह रकम मदरसा समिति के खाते में ट्रांसफर की गई थी। जांच में यह भी सामने आया है कि असद और उसके सहयोगियों ने वीपीएन (वर्चुअल प्राइवेट नेटवर्क) का उपयोग किया, जिससे जांच प्रक्रिया में बाधा उत्पन्न हो रही है। क्राइम ब्रांच ने इन नौ बैंक खातों को सील कर दिया है और असद के मोबाइल को फोरेंसिक लैब भेजा गया है ताकि गहराई से जांच हो सके।
असद ने पूछताछ के दौरान बताया कि उसने फेसबुक पर एक फंड संबंधित विज्ञापन देखा था, जिसके बाद वह ठगों के संपर्क में आया। अगस्त में दिल्ली में मुलाकात के बाद, असद और ठगों ने तय किया कि जमा राशि पर 50% कमीशन लिया जाएगा। इसके बाद, 2 सितंबर को मदरसा समिति के नाम पर खाते खोले गए और 11 सितंबर को वृद्ध महिला से ठगे गए 46 लाख रुपये इन खातों में जमा किए गए। इसके बाद, स्क्रीन शेयरिंग एप के जरिए ठगों ने असद के फोन का एक्सेस लिया और रकम को राजस्थान, पश्चिम बंगाल और अन्य राज्यों के 18 खातों में ट्रांसफर कर दिया।
इस दौरान, एक खाते में विभिन्न राज्यों से कुल डेढ़ करोड़ रुपये भी जमा हुए। अब क्राइम ब्रांच उन खातों के मालिकों की तलाश कर रही है, जिनमें यह धनराशि ट्रांसफर की गई थी। असद ने पहले पुलिस को गुमराह करने के लिए 11 नवंबर को कन्नौज के कोतवाली थाने में साहिल नामक व्यक्ति पर धोखाधड़ी और आईटी एक्ट के तहत केस दर्ज करवाया था। उसने दावा किया था कि साहिल ने नेट बैंकिंग के जरिए खातों का नियंत्रण लेकर धनराशि ट्रांसफर करवा ली थी।
यह मामला कई राज्यों में फैले संगठित ठगी के नेटवर्क की ओर इशारा कर रहा है। क्राइम ब्रांच असद के मोबाइल से मिली जानकारियों के आधार पर आगे की जांच कर रही है और ठगों के नेटवर्क को उजागर करने की कोशिश कर रही है।