सीहोर बंद: बांग्लादेश के प्रताड़ित हिंदुओं के समर्थन में रैली और प्रदर्शन

सीहोर जिले में मंगलवार को बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे अत्याचारों के विरोध में व्यापक बंद और रैली का आयोजन किया गया, जो कोरोना काल के बाद सबसे बड़ा विरोध प्रदर्शन था। इस बंद का कारण बांग्लादेश में इस्लामिक कट्टरपंथियों द्वारा हिंदुओं पर किए जा रहे हमलों, हिंसा, लूटपाट और महिलाओं के खिलाफ अत्याचार थे। इसके साथ ही, इस्कॉन धर्मगुरु चिन्मय कृष्णदास की बांग्लादेश में गिरफ्तारी और हिंदू समुदाय के नेताओं पर हो रहे दमन के खिलाफ भी विरोध जताया गया। इस घटना के बाद से सीहोर शहर में एकजुटता का प्रदर्शन करते हुए समाज के विभिन्न वर्गों ने इस विरोध को समर्थन दिया। यहां तक कि शहर के मुस्लिम इलाकों में भी दुकाने बंद रही, जिससे यह स्पष्ट हुआ कि इस मुद्दे पर एकता का प्रदर्शन किया जा रहा था।
इस विरोध का मुख्य उद्देश्य बांग्लादेश सरकार से हिंदू समाज के खिलाफ हो रहे अत्याचारों को रोकने की मांग करना था। सकल हिंदू समाज के संत महात्माओं, धार्मिक संगठनों, सामाजिक संगठनों और व्यापारियों ने मिलकर इस विरोध को आयोजित किया। दोपहर के समय बाल विहार मैदान से रैली की शुरुआत की गई, जिसमें हजारों लोग शामिल हुए। रैली का रास्ता मेन रोड, इंग्लिशपुरा, और भोपाल नाका होते हुए कलेक्ट्रेट तक था। रैली के दौरान, लोगों ने जमकर नारेबाजी की और बांग्लादेश सरकार के खिलाफ विरोध व्यक्त किया।
रैली में मौजूद हिंदू संत और वक्ताओं ने बांग्लादेश में हिंदू समाज के खिलाफ हो रही हिंसा पर चिंता जताते हुए कहा कि बांग्लादेश में हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यक समुदायों पर लगातार हमले किए जा रहे हैं। वे यह आरोप भी लगा रहे थे कि बांग्लादेश सरकार इस स्थिति में मूकदर्शक बनी हुई है और कट्टरपंथियों का समर्थन कर रही है। इसके अलावा, उन्होंने यह भी कहा कि बांग्लादेश में शांतिपूर्ण तरीके से विरोध करने वाले हिंदू नेताओं, जैसे कि इस्कॉन के चिन्मय कृष्णदास, को कारावास में डाला जा रहा है, जो कि अत्याचार है।
इसके बाद, कलेक्ट्रेट पहुंचकर प्रदर्शनकारियों ने राष्ट्रपति को संबोधित ज्ञापन कलेक्टर प्रवीण सिंह को सौंपा। ज्ञापन में बांग्लादेश सरकार से हिंदुओं के खिलाफ हो रहे अत्याचारों को तुरंत रोकने की मांग की गई और कहा गया कि चिन्मय कृष्णदास और अन्य हिंदू नेताओं को बिना किसी आरोप के जेल में डाला गया है, जिसे तुरंत मुक्त किया जाए। इसके अलावा, भारत सरकार से यह भी आह्वान किया गया कि वह बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे अत्याचारों को रोकने के लिए ठोस कदम उठाए और इस मुद्दे को वैश्विक स्तर पर उठाए।
इस रैली में लगभग 10,000 लोग शामिल हुए थे, जो इस विरोध को लेकर हिंदू समाज की एकजुटता और गंभीरता को दर्शाता है। यह प्रदर्शन न केवल बांग्लादेश में हो रहे अत्याचारों के खिलाफ था, बल्कि यह भी दर्शाता है कि हिंदू समाज वैश्विक मंच पर अपनी आवाज उठाने के लिए तैयार है और किसी भी तरह के अन्याय को बर्दाश्त नहीं करेगा।