हिंदुत्व और जातीय समीकरणों के बीच घिरी सीट, बसपा ने बिगाड़ा खेल

उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर जिले की मझवां विधानसभा सीट पर उपचुनाव का माहौल गर्म है। बजरंग चौराहे और अन्य सार्वजनिक स्थानों पर लोग चुनावी चर्चाओं में व्यस्त नजर आ रहे हैं। भाजपा, सपा और बसपा के बीच त्रिकोणीय मुकाबला है, जहां विकास कार्यों, जातीय समीकरणों और राजनीतिक दांव-पेच पर चर्चा हो रही है।
भाजपा ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक सहित कई दिग्गज नेताओं को प्रचार में उतारा। मुख्यमंत्री ने दो जनसभाएं कीं, जबकि डिप्टी सीएम के अलावा अनुप्रिया पटेल, ओमप्रकाश राजभर, और अन्य नेताओं ने मतदाताओं को रिझाने के लिए जनसंपर्क अभियान चलाया। भाजपा उम्मीदवार शुचिष्मिता मौर्य को सत्ता के विकास कार्यों का समर्थन मिलने की उम्मीद है। बिजली व्यवस्था, सिंचाई की सुविधाओं और सड़क चौड़ीकरण जैसे मुद्दों को भाजपा के पक्ष में माहौल बनाने में मददगार बताया जा रहा है।
सपा ने जातीय समीकरणों पर फोकस किया। सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने एक जनसभा की, जबकि पार्टी के अन्य प्रमुख नेताओं ने क्षेत्रीय स्तर पर प्रचार किया। सपा उम्मीदवार डॉ. ज्योति बिंद को जातीय गोलबंदी का लाभ मिलने की संभावना है। पार्टी ने छात्रों के मुद्दों और रोजगार की पारदर्शिता को अपना मुख्य एजेंडा बनाया है।
बसपा ने इस बार दीपक तिवारी को उम्मीदवार बनाया है, जो ब्राह्मण मतदाताओं के बीच पैठ बना सकते हैं। हालांकि, मायावती या किसी बड़े नेता की जनसभा न होने पर बसपा की चुनावी गंभीरता पर सवाल उठ रहे हैं। पार्टी के जनसंपर्क अभियान का नेतृत्व मुख्य मंडल जोन इंचार्ज रंगनाथ रावत और अन्य वरिष्ठ नेताओं ने किया।
चुनाव में मुख्य चर्चा यह है कि भाजपा और सपा ने जहां बड़े स्तर पर रैलियां और जनसभाएं कीं, वहीं बसपा ने इस मोर्चे पर कमजोर प्रदर्शन किया। स्थानीय लोगों का मानना है कि भाजपा की सरकार में विकास कार्यों की गति तेज हुई है, जिससे उसे फायदा मिल सकता है। हालांकि, सपा की जातीय गोलबंदी और बसपा की ब्राह्मण वोटों में सेंधमारी से मुकाबला रोचक हो सकता है।
मझवां विधानसभा उपचुनाव में भाजपा से शुचिष्मिता मौर्य, सपा से डॉ. ज्योति बिंद और बसपा से दीपक तिवारी के बीच मुकाबला है। अब मतदाताओं के निर्णय का इंतजार है, जो 20 नवंबर को मतदान के बाद साफ होगा।