बिहार में पुलिसकर्मियों के पास बरामद हुई शराब, एसपी ने दरोगा सहित सात को किया गिरफ्तार

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बिहार पुलिस की एंटी लिकर टास्क फोर्स (ALTF) के सात कर्मियों को शराब के साथ गिरफ्तार किया गया है। ये सभी आरोपी वैशाली जिले के महुआ थाना क्षेत्र में शराब पीने और बेचने के आरोप में पकड़े गए हैं, जबकि उनकी जिम्मेदारी शराबबंदी कानून को लागू करने की थी। यह घटना मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के शराबबंदी कानून की हिफाजत करने वाली पुलिस की भूमिका पर सवाल उठा रही है, क्योंकि जिन पर इस कानून को लागू करने का जिम्मा था, वही अब इस कानून का उल्लंघन कर रहे हैं।वैशाली के एसपी को गुप्त सूचना मिली थी कि महुआ क्षेत्र में तैनात एएलटीएफ के कुछ कर्मी शराबबंदी के नियमों का उल्लंघन कर रहे हैं। इस सूचना के आधार पर एसपी हरकिशोर राय ने एक विशेष टीम का गठन किया और खुद ही छापेमारी की योजना बनाई। सोमवार सुबह पुलिस की टीम ने महुआ इलाके में छापा मारा और वहां से 32 लीटर देसी शराब और 500 एमएल विदेशी शराब की बोतलें बरामद कीं। इसके बाद एएलटीएफ के सात कर्मियों को गिरफ्तार कर लिया गया। गिरफ्तार किए गए पुलिसकर्मियों में दरोगा निसार अहमद, पीटीसी मुकेश कुमार, सिपाही प्रिया रानी, होमगार्ड जवान महेश राय, रामप्रवेश सिंह, रत्नेश कुमार और चालक मंतोष कुमार शामिल हैं। इन सभी को महुआ थाने के हवाले कर दिया गया है।

एसपी ने बताया कि पुलिस को यह सूचना मिली थी कि एएलटीएफ के कुछ कर्मी शराब का सेवन करने और उसे बेचने में शामिल थे। सूचना मिलते ही छापेमारी की गई, जिसके दौरान पुलिस ने इन कर्मियों के आवास से शराब की बड़ी खेप बरामद की। आरोप है कि इन पुलिसकर्मियों ने शराब को अपने सेवन और बिक्री के लिए रखा था। अब इन सभी के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर ली गई है और इन्हें जेल भेजने की कार्रवाई शुरू कर दी गई है।यह घटना उस एंटी लिकर टास्क फोर्स के गठन के उद्देश्य पर भी सवाल उठा रही है, जो शराब के अवैध व्यापार को रोकने और शराब तस्करों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए बनाई गई थी। यह टास्क फोर्स शराब के कारोबार पर नकेल कसने के लिए वैज्ञानिक पद्धतियों का उपयोग करती है। लेकिन अब जब यह टीम खुद ही शराबबंदी कानून का उल्लंघन कर रही है, तो यह कई सवाल खड़े कर रहा है कि क्या पुलिस अपनी जिम्मेदारी निभा रही है या नहीं।इस पूरे मामले ने बिहार पुलिस की शराबबंदी कानून के प्रति प्रतिबद्धता पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।

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