आयोग की परीक्षा तैयारी तेज, दो दिन की परीक्षा के लिए 21 नवंबर को जिलाधिकारियों की बैठक

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उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (यूपीपीएससी) ने पीसीएस और आरओ-एआरओ प्रारंभिक परीक्षा 2024 दो दिन में आयोजित करने का निर्णय लिया है, जिसका प्रतियोगी छात्र विरोध कर रहे हैं। इस परीक्षा को प्रदेश के 44 जिलों में आयोजित करने की योजना है, और आयोग ने इस संदर्भ में जिलाधिकारियों के साथ 21 नवंबर को बैठक बुलाई है। छात्रों की मांग है कि परीक्षा एक ही दिन में कराई जाए और नॉर्मलाइजेशन की प्रक्रिया को रद्द किया जाए। इसके चलते प्रतियोगी छात्रों ने 11 नवंबर से आयोग के सामने धरना-प्रदर्शन शुरू कर दिया है।

छात्रों का कहना है कि जब तक आयोग एक दिन में परीक्षा कराने और नॉर्मलाइजेशन प्रक्रिया को निरस्त करने का नोटिस जारी नहीं करता, तब तक वे शांतिपूर्ण ढंग से धरने पर बैठे रहेंगे। इस विरोध में यूपी के अलावा दिल्ली, एमपी, बिहार, उत्तराखंड और अन्य राज्यों से भी प्रतियोगी छात्र शामिल हो रहे हैं। इस प्रदर्शन के मद्देनजर आयोग परिसर के आस-पास भारी पुलिस बल तैनात किया गया है, और छात्रों ने शांतिपूर्ण प्रदर्शन का आश्वासन दिया है।

दूसरी ओर, यूपीपीएससी अपने दो-दिन के परीक्षा आयोजन के निर्णय पर कायम है। आयोग ने सभी जिलाधिकारियों को पत्र भेजकर तैयारी शुरू करने के निर्देश दिए हैं। 21 नवंबर को प्रयागराज में आयोग के सरस्वती भवन में नोडल अधिकारियों की बैठक आयोजित की जाएगी, जिसमें जिलाधिकारी स्वयं या वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से प्रतिभाग कर सकते हैं। यदि जिलाधिकारी उपस्थित नहीं हो सकते, तो उन्होंने अपने स्थान पर किसी अपर जिलाधिकारी को भेजने के निर्देश दिए हैं।

परीक्षा के आयोजन के लिए जिन जिलों को चुना गया है, उनमें प्रमुखतः आगरा, अलीगढ़, लखनऊ, वाराणसी, प्रयागराज, गोरखपुर, मथुरा, मेरठ, कानपुर नगर आदि शामिल हैं। इन जिलों में कई परीक्षा केंद्र बनाए जाएंगे, और इस आयोजन की तैयारी का मंथन भी बैठक में किया जाएगा।

वहीं, प्रतियोगी छात्रों के इस विरोध को कोचिंग संचालकों का समर्थन नहीं मिल रहा है। हाल ही में पुलिस लाइंस स्थित त्रिवेणी सभागार में आयोजित बैठक में कोचिंग संस्थानों के संचालकों और एसोसिएशन के अध्यक्ष ने कहा कि कोचिंग संस्थान सोमवार को भी सामान्य रूप से संचालित रहेंगे। उन्होंने कहा कि वे किसी भी छात्र आंदोलन का समर्थन नहीं करेंगे। बैठक में महाकुंभ के दौरान भीड़ को नियंत्रित करने के लिए कोचिंग संस्थानों के परिसरों के उपयोग और उनके कर्मचारियों एवं छात्रों की सहायता की संभावनाओं पर भी चर्चा की गई।

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