साहित्यिक चोरी पर लगाम: शोधगंगा पर संपूर्णानंद विवि की मात्र चार थीसिस उपलब्ध
शोधगंगा वेबसाइट पर पीएचडी थीसिस अपलोड करने के मामले में वाराणसी के प्रमुख विश्वविद्यालय उम्मीद के मुताबिक प्रदर्शन नहीं कर रहे हैं। यूजीसी के आदेश के अनुसार, सभी केंद्रीय और राज्य विश्वविद्यालयों के लिए यह अनिवार्य है कि पीएचडी शोधार्थियों की थीसिस को शोधगंगा पर अपलोड किया जाए। इससे न केवल शोध की गुणवत्ता और पारदर्शिता बढ़ती है, बल्कि साहित्यिक चोरी पर भी अंकुश लगाया जा सकता है। शोधगंगा का उद्देश्य है कि दूर-दराज के विद्यार्थी और शोधकर्ता आसानी से शोध सामग्री तक पहुँच सकें और उनके लिए संसाधनों की उपलब्धता में सुधार हो।
वाराणसी स्थित संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय, बीएचयू (बनारस हिंदू विश्वविद्यालय), और महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ इस दिशा में अपेक्षाकृत पीछे हैं। संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय ने अब तक केवल चार थीसिस अपलोड की हैं, जबकि बीएचयू ने 8,913 थीसिस अपलोड की हैं, जो शीर्ष-10 विश्वविद्यालयों की सूची में नहीं है। इसके विपरीत, महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ ने 4,980 थीसिस और वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय जौनपुर ने 9,397 थीसिस अपलोड की हैं, जिससे वह इस क्षेत्र में सबसे आगे है।
थीसिस अपलोड करने की यह प्रक्रिया विश्वविद्यालय के पुस्तकालयों की जिम्मेदारी होती है, जो पीएचडी की स्वीकृति का एक हिस्सा भी माना जाता है। शोधगंगा पर अपलोड किए गए शोध न केवल साहित्यिक चोरी से बचाते हैं, बल्कि शोधार्थियों के लिए एक महत्वपूर्ण संसाधन साबित होते हैं। वाराणसी के विश्वविद्यालयों द्वारा इसमें सुधार की आवश्यकता है ताकि शोध सामग्री की अधिक पहुंच और पारदर्शिता सुनिश्चित की जा सके।