बुजुर्गों और दृष्टिबाधितों की मदद के लिए आईं स्मार्ट छड़ियां, चलना होगा आसान

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इंदौर के राजा रमन्ना प्रगत प्रौद्योगिकी केंद्र के पूर्व वैज्ञानिक संजय खेर और उनकी टीम ने दिव्यांगजन, बुजुर्गों, और दृष्टिबाधितों की मदद के लिए तीन विशेष छड़ियां—संगिनी, सहारा, और स्पंदिनी—विकसित की हैं। इन छड़ियों को विभिन्न उपयोगी तकनीकों से सुसज्जित किया गया है, जिससे ये उपयोगकर्ताओं को न केवल चलने में मदद करती हैं बल्कि उनकी सुरक्षा का भी ध्यान रखती हैं। इन छड़ियों का वजन लगभग 300 ग्राम है और ये रिचार्जेबल हैं। कुछ संस्थानों में इनका प्रयोग भी किया जा रहा है, जहाँ से अच्छे परिणाम मिले हैं।

 

छड़ियों का विवरण:

1. संगिनी: यह छड़ी विशेष रूप से बुजुर्गों के लिए बनाई गई है, जिनके हाथ चलते समय फ्रीज हो सकते हैं। संगिनी में एक फ्रीज डिटेक्शन सिस्टम है, जो हाथ फ्रीज होते ही अलार्म बजा देता है। इसमें एक लेजर लाइट, टार्च, और पैनिक बटन भी है, जो आपात स्थिति में सहायक होते हैं।

 

2. सहारा: यह दृष्टिबाधितों के लिए डिजाइन की गई है। सहारा में सोनार सेंसर लगे हैं, जो टक्कर और ठोकर से बचने में मदद करते हैं। यह सामने आने वाली बाधाओं को पहले ही पहचान लेती है, जिससे उपयोगकर्ता सुरक्षित रहते हैं।

 

3. स्पंदिनी: यह माइक्रो कंट्रोलर बेस्ड सोनार सेंसर से लैस है और साउंड नेविगेशन का उपयोग कर उपयोगकर्ता को रास्ता बताती है। यह छड़ी भी दृष्टिबाधितों के लिए अत्यंत उपयोगी है।

 

विज्ञान से जोड़ने की पहल
संजय खेर ने इन छड़ियों के निर्माण में उन किशोरों को भी शामिल किया है, जो दिव्यांग हैं या जिनके माता-पिता नहीं हैं और जो आश्रम में रहकर पढ़ाई कर रहे हैं। इस पहल का उद्देश्य इन बच्चों में विज्ञान के प्रति रुचि और कौशल विकसित करना है ताकि वे एक उज्जवल भविष्य की ओर कदम बढ़ा सकें। उज्जैन के सेवाधाम आश्रम के दस किशोरों को संजय खेर की टीम ने छड़ियां बनाने का प्रशिक्षण दिया, और इन बच्चों ने थोड़े समय में इस कार्य में दक्षता हासिल कर ली।

यह पहल न केवल समाज के ज़रूरतमंद वर्गों की मदद कर रही है बल्कि विज्ञान में किशोरों की रुचि बढ़ाने के लिए भी एक महत्वपूर्ण कदम है।

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