रिजर्व बैंक का बड़ा कदम, वित्तीय स्थिरता हेतु नया रिस्क मैनेजमेंट मॉडल लागू

RBI : भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने 5 अगस्त 2024 को एक महत्वपूर्ण सर्कुलर जारी किया, जिसमें ‘क्रेडिट में मॉडल रिस्क प्रबंधन के लिए नियामक सिद्धांत’ पर विस्तृत दिशानिर्देश दिए गए हैं. इस नए फ्रेमवर्क का उद्देश्य वित्तीय संस्थानों के लिए क्रेडिट मॉडल की शासन-प्रणाली को और मजबूत करना है ताकि उनके द्वारा किए गए ऋण वितरण अधिक सुरक्षित और विश्वसनीय हो. यह कदम वित्तीय स्थिरता को बढ़ाने की दिशा में महत्वपूर्ण है और विशेष रूप से उन संस्थानों के लिए है जो क्रेडिट जोखिम मॉडल का उपयोग कर रहे हैं।
मॉडल रिस्क प्रबंधन की अहमियत
रिजर्व बैंक द्वारा पेश किया गया यह नया फ्रेमवर्क वित्तीय क्षेत्र में मॉडल रिस्क प्रबंधन में एक मानकीकरण की आवश्यकता को पूरा करता है, जो पहले उद्योग में असंगत था. आज के समय में, प्रभावी मॉडल रिस्क प्रबंधन वित्तीय संस्थानों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हो गया है. इस सर्कुलर के तहत वित्तीय संस्थानों को यह सुनिश्चित करने के लिए दिशा-निर्देश दिए गए हैं कि उनके क्रेडिट मॉडल अच्छी तरह से शासित हों, उनका नियमित रूप से मूल्यांकन हो और वे हमेशा अद्यतन रहे।
मॉडल का निरंतर मूल्यांकन इस लिहाज से महत्वपूर्ण है कि यह मौजूदा वित्तीय परिवेश को ध्यान में रखते हुए अपडेट रहता है. इसके माध्यम से संस्थान सुनिश्चित कर सकते हैं कि उनके क्रेडिट निर्णय अधिक सटीक और जोखिम-समझदारी के आधार पर लिए जाएं, जिससे डिफॉल्ट्स की संभावना कम हो और संपत्ति की गुणवत्ता में सुधार हो।
एसेट क्वालिटी पर ध्यान
इस नए फ्रेमवर्क का मुख्य उद्देश्य क्रेडिट जोखिम मूल्यांकन प्रक्रियाओं को बेहतर बनाना और एसेट क्वालिटी को सुरक्षित करना है. ओवरसाइट और मॉडल वैलिडेशन के द्वारा ऋण पोर्टफोलियो की गुणवत्ता सुनिश्चित की जाएगी. इसके तहत यह सुनिश्चित किया जाएगा कि वित्तीय संस्थान बेहतर गुणवत्ता वाले क्रेडिट पोर्टफोलियो बनाए, जिससे उनकी समग्र जोखिम प्रोफ़ाइल और वित्तीय स्थिरता में सुधार हो।
इसमें विशेष जोर मॉडल के विकास, तैनाती और उनकी सत्यापन प्रक्रिया पर है, जिससे यह सुनिश्चित हो कि सभी मॉडल सटीक और स्पष्ट परिणाम प्रदान करें।
आरबीआई के इस नए फ्रेमवर्क से वित्तीय संस्थानों को कम जोखिम वाले मॉडल इस्तेमाल करने में मदद मिलेगी, जिससे उनकी निर्णय प्रक्रिया अधिक सटीक होगी और एसेट क्वालिटी में सुधार होगा. इस दिशा में ओवरसाइट और वैलिडेशन से वित्तीय प्रणाली में अधिक स्थिरता आएगी, जो न केवल ऋणदाताओं के लिए, बल्कि उधारकर्ताओं के लिए भी फायदेमंद साबित होगी।
इस कदम से वित्तीय संस्थान अधिक सतर्कता से काम करेंगे, जिससे भारतीय अर्थव्यवस्था की स्थिरता को बढ़ावा मिलेगा और वित्तीय जोखिमों को कम किया जा सकेगा ।
निगरानी पर जोर
इस फ्रेमवर्क में शासन और निगरानी के लिए स्पष्ट दिशानिर्देश दिए गए हैं. सभी मॉडल को एक बोर्ड-अप्रूव्ड नीति के तहत शासित किया जाएगा, जिसमें चयन, दस्तावेजीकरण, सत्यापन और निगरानी प्रक्रियाओं का स्पष्ट रूप से उल्लेख होगा. नियमित अपडेट और निगरानी से यह सुनिश्चित किया जाएगा कि मॉडल सटीक, निष्पक्ष और समझाने योग्य परिणाम प्रदान करें।
मॉडल वैलिडेशन इस प्रक्रिया का सबसे अहम हिस्सा है. रिजर्व बैंक ने यह सुनिश्चित किया है कि सभी मॉडल तैनाती से पहले और हर महत्वपूर्ण बदलाव के बाद वैलिडेट किए जाएं. यह प्रक्रिया मौजूदा आंकड़ों और सिद्धांतों की जांच करेगी ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि मॉडल अपनी निर्धारित भूमिका निभा रहे हैं।