MCD चुनाव में कांग्रेस का बड़ा कदम: देवेंद्र यादव ने क्यों किया पार्टी को अलग रखने का ऐलान?

MCD चुनाव में कांग्रेस का बड़ा कदम: देवेंद्र यादव ने क्यों किया पार्टी को अलग रखने का ऐलान?

देवेंद्र यादव ने क्यों किया पार्टी को अलग रखने का ऐलान

दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) में आम आदमी पार्टी के पास भले ही बहुमत हो, लेकिन बीजेपी स्थायी समिति की कमान अपने हाथ में रखने के लिए प्रयासरत है। इसी वजह से एमसीडी चुनाव के बाद से स्थायी समिति को लेकर दोनों दलों के बीच डेढ़ साल से खींचतान चल रही है। सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप के बाद, एमसीडी के सभी 12 जोनों से स्टैंडिंग कमेटी के 12 सदस्य चुन लिए गए हैं, जबकि अब केवल एक सदस्य का चुनाव होना बाकी है।

इस मुद्दे पर आम आदमी पार्टी और बीजेपी के बीच नूरा-कुश्ती जारी है, जिसमें पार्षदों के दल-बदल का खेल भी पर्दे के पीछे चल रहा है। इस स्थिति को देखते हुए, दिल्ली कांग्रेस ने इस चुनाव से खुद को दूर रखने की घोषणा की है। कांग्रेस के इस फैसले से पहले ये कयास लगाए जा रहे थे कि वह स्थायी समिति के चुनाव में आम आदमी पार्टी का समर्थन करेगी, लेकिन अब पार्टी का यह कदम आम आदमी पार्टी के लिए एक बड़ा झटका साबित हुआ है।

दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष देवेंद्र यादव ने इस मामले पर कहा कि दिल्ली नगर निगम में स्थायी समिति के एक सदस्य के चुनाव के लिए आम आदमी पार्टी और बीजेपी के बीच चल रहा सत्ता संघर्ष अब चरम पर पहुंच चुका है। दोनों दलों के नेता पार्षदों की खरीद-फरोख्त में व्यस्त हैं, इसी कारण हमारी पार्टी ने इन दोनों दलों से दूरी बनाने का निर्णय लिया है।

उन्होंने आगे कहा कि जनता की समस्याओं का समाधान करने और उनकी जवाबदेही बनाना दोनों पार्टियों की जिम्मेदारी है, लेकिन पिछले 19 महीनों में उनकी आपसी लड़ाई के अलावा एमसीडी में कुछ भी नहीं हुआ। एबीपी लाइव से बातचीत में उन्होंने बताया कि पार्टी के शीर्ष नेतृत्व के साथ विचार-विमर्श के बाद कांग्रेस ने चुनाव से दूर रहने का निर्णय लिया है।

देवेंद्र यादव ने यह भी कहा कि निगम में 250 पार्षदों में से एक पार्षद के सांसद बनने के बाद अब कुल संख्या 249 रह गई है, जिसमें आम आदमी पार्टी के 124 और बीजेपी के 115 पार्षद हैं। हालांकि सदन में आम आदमी पार्टी के पास बहुमत है, बीजेपी साम-दाम, दंड-भेद की नीति अपनाकर सत्ता पर काबिज होने की कोशिश कर रही है। यही कारण है कि बीजेपी ने पिछले महीने सात से आठ निगम पार्षदों को अपनी पार्टी में शामिल किया है, और आम आदमी पार्टी भी इस चुनौती का जवाब देने में पीछे नहीं है।

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