UP NEWS: 15 दिन के क्वारंटाइन के बाद भी नही सुधरा आदमखोर भेड़िया; पढ़ें क्या है कारण?
अवध क्षेत्र में वन विभाग की टीमों ने कुछ भेड़िये पकड़ लिए हैं। इसके बाद भी भेड़ियों के इंसानों पर हमले जारी हैं। इस बीच सियार, बाघ और तेंदुओं के हमले भी बढ़ गए हैं। विशेषज्ञ जंगली जानवरों के आक्रामक व्यवहार के अलग-अलग कारण बता रहे हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या आदमखोर जानवर को पकड़ने के बाद 15 दिन के लिए क्वारंटाइन कर छोड़ देना ठीक है? क्या इससे वे आदमखोर नहीं रहते हैं?
उत्तर प्रदेश वन विभाग के पूर्व मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक रविंद्र सिंह भदौरिया ने बताया कि इंसानी आबादी में पहुंचे वन्यजीवों को रेस्क्यू किया जाता है। इसके बाद उन्हें चिड़ियाघर में रखा जाता है। इनमें आदमखोर या हिंसक जानवरों को 15 दिन के लिए क्वारंटाइन किया जाता है।
इसके बाद सामान्य वन्यजीवों की तरह उन्हें भी जंगल में छोड़ दिया जाता है। दरअसल, वन विभाग के पास आदमखोर जानवरों को सुधारने का कोई उपाय नहीं है। उन्हें इंसानों की सुरक्षा को देखते हुए 15 दिन के लिए क्वारंटाइन किया जाता है।
ऐसे में सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि उन्हें घने वनक्षेत्र में ही छोड़ा जाए। वहीं, बहराइच के डीएफओ अजीत प्रताप सिंह का कहना है कि भेड़ियों को जंगल में शिकार नहीं मिल पा रहे हैं। कई बार उन्हें 15 दिन से ज्यादा इंतजार करना पड़ रहा है। ऐसे में वे इंसानी आबादी का रुख कर रहे हैं।
नियमों की अनदेखी कर रहा वन विभाग
भदौरिया के दूसरे पहलू पर बात करते हुए कहा कि वन्यजीव संरक्षण कानून 1972 के मुताबिक, किसी भी जंगली जानवर को रेस्क्यू कर वनक्षेत्र में छोड़ा जाना चाहिए। इसके उलट वन विभाग मनमानी कर रहा है। लखनऊ चिड़ियाघर में ही कई साल पहले रेस्क्यू कर लाए गए जंगली जानवरों को मुजरिमों की तरह कैद करके रखा गया है।
क्या कहता है 1972 का कानून
कानून कहता है कि अपाहिज, बेहद छोटे या बीमार जंगली जानवर को रेस्क्यू किया जाए तो स्वस्थ होने पर उसे जंगल में छोड़ दिया जाए। ऐसा करने के बजाय उन्हें चिड़ियाघरों में कई-कई साल तक रखा जाता है।
भूखे होने पर हिंसक हो जाते हैं भेड़िये
यूपी वन विभाग की पूर्व एचओडी ममता संजीव दुबे ने बताया कि भेड़िये भूखे होने पर हिंसक हो जाते हैं। जंगलों के अनियोजित कटान के कारण उनको आसानी से भोजन नहीं मिल पा रहा है। भूख से परेशान आक्रामक भेड़िये इंसानी आबादी का रुख कर रहे हैं।