बीजेपी ने दिल्ली सरकार के शपथ ग्रहण के लिए रामलीला मैदान को क्यों चुना? जानें इसका ऐतिहासिक कनेक्शन

जहां हुआ था केजरीवाल का उभार, वहीं से मिलेगी दिल्ली को बीजेपी की सरकार! -  Delhi will get BJP government from the ramlila maidan same place where  arvind Kejriwal had emerged ntcpas -

दिल्ली में 27 सालों के सियासी वनवास के बाद बीजेपी ने एक बार फिर दिल्ली की सत्ता में वापसी की है। इस ऐतिहासिक अवसर को यादगार बनाने के लिए बीजेपी ने दिल्ली सरकार के शपथ ग्रहण समारोह के लिए रामलीला मैदान को चुना है। गुरुवार को सुबह 11 बजे दिल्ली सरकार के शपथ ग्रहण का कार्यक्रम होगा, जिसमें उपराज्यपाल वीके सक्सेना दिल्ली के मुख्यमंत्री और उनके मंत्रिमंडल को शपथ दिलाएंगे। हालांकि, बुधवार को विधायक दल की बैठक में दिल्ली के नए मुख्यमंत्री के नाम पर अंतिम मुहर लगाई जाएगी।

रामलीला मैदान को शपथ ग्रहण समारोह के लिए क्यों चुना गया, इसके पीछे एक महत्वपूर्ण ऐतिहासिक कनेक्शन है। यह मैदान केवल रामलीला के मंचन का स्थल नहीं रहा, बल्कि भारतीय राजनीति और खासकर बीजेपी के लिए एक महत्वपूर्ण स्थान रहा है। बीजेपी ने 27 साल बाद सत्ता में लौटने के बाद रामलीला मैदान का चुनाव किया है, जो पार्टी के लिए खास महत्व रखता है।

रामलीला मैदान और बीजेपी का गहरा कनेक्शन
दिल्ली का रामलीला मैदान 10 एकड़ में फैला हुआ है, जो पहले तालाब और खेतों की भूमि हुआ करता था, लेकिन अब यह एक महत्वपूर्ण सियासी और सामाजिक आंदोलन का गवाह बन चुका है। बीजेपी के लिए रामलीला मैदान का कनेक्शन लगभग सात दशकों पुराना है।

1952 में जनसंघ के संस्थापक श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने जम्मू और कश्मीर के मुद्दे पर सत्याग्रह शुरू किया था। यह आंदोलन रामलीला मैदान में हुआ, और इसने नेहरू सरकार को हिला दिया था। इसके बाद, 1977 में बीजेपी ने राम मंदिर आंदोलन के लिए भी रामलीला मैदान को चुना था।

श्यामा प्रसाद मुखर्जी का जम्मू-कश्मीर के लिए सत्याग्रह
श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने 1952 में जम्मू-कश्मीर के अलग संविधान और अलग झंडे के खिलाफ आंदोलन शुरू किया। उन्होंने नारा दिया, “एक देश में दो विधान, दो निशान नहीं चलेंगे।” यह आंदोलन रामलीला मैदान में हुआ था, जहां मुखर्जी ने नेहरू सरकार को चुनौती दी। उनका यह सत्याग्रह भारतीय राजनीति के एक अहम मोड़ था, जो अंततः जम्मू और कश्मीर के मुद्दे को सुलझाने की दिशा में महत्वपूर्ण साबित हुआ।

जनसंघ का दफ्तर और अटल बिहारी वाजपेयी का कनेक्शन
जनसंघ का पुराना दफ्तर रामलीला मैदान के पास हुआ करता था। अटल बिहारी वाजपेयी भी जनसंघ और बाद में बीजेपी के प्रमुख नेता रहे थे। एक बार जब अटल जी ट्रेन से दिल्ली लौट रहे थे और देर रात ट्रेन के पहुंचने पर उन्होंने जनसंघ दफ्तर जाने की बजाय रामलीला मैदान में रात बिताई थी। इसके अलावा, आपातकाल के बाद 1977 में रामलीला मैदान पर अटल बिहारी वाजपेयी की मशहूर कविता पाठ की सभा भी हुई थी।

राम मंदिर आंदोलन का केंद्र बिंदु
1980 और 1990 के दशक में राम मंदिर आंदोलन ने बीजेपी को सियासी बुलंदी दिलाई। बीजेपी ने राम मंदिर के लिए अपनी आवाज बुलंद करने के लिए रामलीला मैदान का ही चुनाव किया। यह आंदोलन बीजेपी के लिए एक निर्णायक मोड़ साबित हुआ, जिसके बाद पार्टी को राजनीतिक सफलता मिली।


रामलीला मैदान को बीजेपी ने शपथ ग्रहण के लिए इसलिए चुना है क्योंकि यह स्थल भारतीय राजनीति और बीजेपी के लिए बेहद महत्वपूर्ण रहा है। इस मैदान से बीजेपी के नेता श्यामा प्रसाद मुखर्जी से लेकर अटल बिहारी वाजपेयी तक ने कई ऐतिहासिक आंदोलनों की शुरुआत की। राम मंदिर आंदोलन भी यहीं से शुरू हुआ, जिसने पार्टी को शक्ति दी। इस तरह रामलीला मैदान का कनेक्शन बीजेपी के इतिहास से जुड़ा हुआ है, और इसलिए इसे शपथ ग्रहण समारोह के लिए चुना गया।

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