दिल्ली चुनाव में बढ़ा रोमांच: BJP-AAP की नजरें खास वोटर्स पर, जीत के लिए झोंकी पूरी ताकत

दिल्ली विधानसभा चुनाव जीतने के लिए मैदान में उतरी आम आदमी पार्टी और भाजपा दोनों की जाट समाज पर नजरें टिकी हैं। दोनों दल इस समाज को अपनी ओर करने के लिए जी-जान से लगे हैं। इस समय एक तरफ आप जहां इस समाज के साथ खड़ी दिखने के साथ केंद्र की भाजपा सरकार पर हमला बोल रही है, वहीं भाजपा भी आक्रामक तरीके से आप पर पलटवार कर रही है।
इसी क्रम में सोमवार को जाट समाज के एक प्रतिनिधि मंडल ने केजरीवाल से उनके आवास पर मुलाकात की। इस मुद्दे पर केजरीवाल ने कहा कि दिल्ली के जाट समाज को केंद्र की आरक्षण सूची में शामिल ना करना अन्याय है। आम आदमी पार्टी जाट समाज की इस जायज मांग के साथ खड़ी है।
बता दें कि केजरीवाल ने कुछ समय पहले दिल्ली के जाट समाज को केंद्र की ओबीसी लिस्ट में शामिल करने की मांग को लेकर प्रधानमंत्री को चिट्ठी भी लिखी है।
केजरीवाल ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चिट्ठी में याद दिलाया था कि 2015 में उन्होंने जाट समाज को केंद्र सरकार की ओबीसी लिस्ट में शामिल करने का आश्वासन दिया था। उन्होंने कहा कि भाजपा नेताओं को बताना चाहिए कि दिल्ली के जाट समाज को ओबीसी लिस्ट में कब शामिल किया जाएगा। इस मौके पर अंतरराष्ट्रीय दूहन खाप के प्रधान सतपाल सिंह दूहन आदि अन्य जाट नेता भी मौजूद थे।
उधर, केजरीवाल के हमले पर भाजपा सांसद कमलजीत सहरावत ने पलटवार करते हुए कहा कि अरविंद केजरीवाल अब चारो ओर से घिर चुके हैं। उन्हें मालूम है कि दिल्ली देहात के विकास की उपेक्षा के चलते बिजवासन से नरेला तक जाट सहित 36 बिरादरी के लोग उनको नकारने का मन बना चुके हैं। इससे केजरीवाल विचलित हैं।
कहा कि अब वह आरक्षण के नाम पर जाट समाज को भड़काने का प्रयास कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि दिल्लीवासी उनकी सच्चाई जान गए हैं, इसलिए उनके झांसे में नहीं आ रहे। उन्होंने कहा कि केजरीवाल ने 10 वर्षों तक सत्ता में रहते हुए कभी जाट समाज की चिंता नहीं की। अब अपनी हार को देखकर एक भाजपा विरोधी जाट नेता के सहारे दिल्ली के जाट समाज को आरक्षण के नाम पर भड़काने की साजिश रच रहे हैं, इसमें वह कभी सफल नहीं होंगे।
उन्होंने कहा कि आप सरकार में मंत्री रहे कैलाश गहलोत कह चुके हैं कि उन्होंने जब भी जाट समाज का मुद्दा उठाया तो केजरीवाल ने ध्यान नहीं दिया। उन्होंने कहा कि जाट समाज जानता है कि केजरीवाल ने विधानसभा में प्रस्ताव पास नहीं किया, इस कारण उन्हें आरक्षण का लाभ नहीं मिल रहा है।